हाई क्लास सारिका की चुदाई
मैं सारिका, 38 साल की शादीशुदा महिला। मैं जोधपुर से हूं। पतिदेव का अच्छा खासा बिजनेस है। हमें हाई क्लास की फेमिली में शुमार किया जा सकता है। करीब 3साल पहले तक मैं एक बहुत ही सीधी-सादी महिला थीं। पर पति के उकसाने और अपनी छिपी हुई फेंटासी के कारण आज आपके सामने अपने अनुभव शेयर करने तक की हिम्मत आ गई है। मैंनें इस फोरम के बारे में अपने पति से ही जाना। अपने अनुभव लिखते समय भी बीच-बीच में उनकी सहायता जरूर लूंगी। पहली बार कुछ बताने की कोशिश कर रहीं हूं। अगर कोई गलती हो तो माफ करियेगा।
पहले हम मुंबई के एक सबर्ब में रहते धे और मेरी जिंदगी के बदलाव की कहानी वहीं से शुरू होती है। 2 साल पहले जोधपुर शिफ्ट हुए और यहां भी उसी सिलसिले को जारी रखने में सफलता मिली। बहुत ज्यादा तो नहीं पर सप्ताह में एक या दो बार जरूर आपके समक्ष आऊंगी।
अपने बारे में बता दूं आपको। मैं इतनी सुंदर तो हूं कि लोग मुझे देखकर नजरें न हटा सकें। लोग तो यह भी कहते हैं कि मैं अपनी उम्र से छोटी लगती हूं। मेरे सीने की साइज़ 34 है और मेरे चुतड 37 के हैं। मेरे शरीर का सबसे आकर्षक पार्ट मेरे चुतड ही है। जब मैं चलती हूं तो पीछे वाले की आह जरूर निकलती है। मैं ज्यादा तर साड़ी पहनती हूं जिसके ब्लाउज काफ़ी लो कट होते हैं और मैं साड़ी अपनी नाभि के काफी नीचे बांधती हूंऔर एकदम टाईट भी जिससे मेरे चुतडो का उभार स्पष्ट नजर आये। जब मैं कुर्ता और लेगिंग पहनती हूं तो वो भी एकदम टाईट और साइड से खुला हुआ होता है। मैं अपने एक एक अनुभव आपसे शेयर करुंगी। अगर आपको इनमें सच्चाई लगे तो मेरी और मेरे पति की हौसला अफजाई करियेगा वरना इसको फेंटासी मानकर मजे लीजिएगा।
ये सब तब शुरू हुआ जब हम बरसात के दिनों में लोनावला गए थे। होटेल के कमरे में मियां बीबी के बीच के उन अंतरंग पलों में अमित ने कहा कि क्यों न हम इन दिनों को यादगार बनायें। मैंने कहा वो कैसे तब उन्होंने कहा कि चलो बाहर जाते हैं और कुछ अनजान लोगों के साथ टीस करते हैं। ये पहली बार नहीं था। इससे पहले भी कभी मूवी में या मोल में मैंने अपने आपको एक्सपोज किया था। पर वो सब देखने दिखाने और कुछ कोमेंटस् तक ही सीमित था। उस दिन बरसात हो रही थी और मैंने साड़ी पहनी थी। अमित के जोर देने पर साड़ी काफी नीचे बांधी थी और अपने लो कट ब्लाउज के ऊपर का एक बटन भी खुला छोड़ दिया था।
हम बाजार पहुंचे और गाड़ी से उतरकर दुकान तक पहुंचते में मैं काफी भीग गयी थी। अमित ने मुझे कहा कि मैं दुकान में जाकर चिक्की आदि खरीदने के बहाने उन सेल्समैनो को टीज करूं। वहां भीड कुछ ज्यादा ही थी। मैं काउंटर के सामने खड़े लोगों के पीछे पहूंची। मेरे पीछे भी लोग खड़े थे। मैंने अपने पीछे कुछ दबाव महसूस किया और देखा तो एक 50 - 55 का आदमी मुझसे सटकर खड़ा है। अमित तो पहले से ही एक तरफ खड़ा होकर मुझे देख रहा था। मुझे अनकम्फर्टेबल फील हो रहा था। मैंने अमित की तरफ देखा तो उसने मुझे इशारे से वहीं रहने को कहा। इतने में मैंने महसूस किया कि वो आदमी एकदम मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया है। अब मैं अपनी गांड पर उसके लंड को महसूस करने लगी। मेरी ओर से कोई भी विरोध न पाकर उसके हाथ मेरी कमर पर आ गये और उसने मुझे कमर से पकड़कर अपनी ओर खींचा। मुझे मजा आने लगा। मैंने एकबार फिर से अमित को देखा तो उसने इशारे से मुझे कहा केरी ओन।
उस आदमी ने अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर डाला तब मैंने भी अपनी गांड पीछे करके उसे दबा दिया। अब मेरे आगे से भीड खतम हो गई थी और मैं काउंटर पर पहुंच चुकी थी। वो मेरे पीछे ही था उसने मेरी गांड पर और दबाव डाला। मैं सेल्समैन को चिक्की दिखाने को कह रही थी उसे भी मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी क्लीवेज डीप तक दिखाई दे रही थी। मैंने उसको अपने बुब्स की और एकटक देखते हुए पाया। पीछे से मेरा गांड मर्दन चल रहा था। उस आदमी ने मुझे मजे लेते हुए देखकर अपना एक हाथ काउंटर और मेरे आगे के भाग के बीच डाल दिया और वो हाथ से मेरी जांघ सहलाने लगा। उसका लंड मेरी गांड की दरार में फिट हो चुका था। जब तक सेल्समैन ने सामान वेट किय और पेक किया उस आदमी ने अपने लंड से मेरा गांड मर्दन चालू रखा और एक हाथ से आगे से मेरी साडी के ऊपर से मेरी पेंटी पर सहलाता रहा।
मैं बहुत गर्म हो गई थी। मेरा सामान भी पेक हो गया था और मैंने पेमेंट किया और जब तक वो मुझे चेंज देता मैंने अपना हाथ पीछे ले जाकर उस आदमी के लंड को पकडकर जोर से दबा दिया और जल्दी से भीड से बाहर निकल आई। सोचती हूं कि न जाने उस वक्त मुझमें वो हिम्मत कहां से आई।
इसके बाद में और अमित जब होटल आये तब हमने उस वाकये को याद करते हुए जोरदार सेक्स किया और अमित मुझे उस अंकल का नाम ले लेकर चोदते रहे।
इसके बाद जब भी हम कहीं बाहर जाते तो इसी तरह अनजान लोगों के साथ वो मुझे ग्रोप होते देखते और घर आकर फिर उसका नाम लेकर मेरी चुदाई करते। फिर एक दिन ऐसे ही चुदाई करते समय उन्होंने कहा कि सारिका मैं तुम्हें असली में ये करते देखना चाहता हूं। मैंने इसे मजाक में लिया पर वो फिर हरबार यही दोहराते रहे। एकदिन हम रात को चुदाई कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि फर्ज करो कि अगर तुम्हें किसी और के साथ ये करना है तो तुम किसके बारे में सोचती हो। काफी देर तक पूछने के बाद मेरे मुँह से निकल गया-आशिश तो वो बोले कौन आशिश, मेरा बोस?
                         
                                    
मैं-अरे नहीं, मैं तो सिर्फ़ फेन्टासी में ही ऐसा सोच रही थी। तो वो बोले कि ठीक है और फिर हम जब भी चुदाई करते थे तो अमित मुझे बोस का नाम लेकर चोदते धे। वो कहते लो सारिका आशिष का लंड, बोलो कैसा लगा मेरे बोस का लंड? मजा आ रहा है ना? धीरे-धीरे मै भी उनकी बातों से मस्त होने लगी और मैं चुदाई के वक्त बोस का नाम लेने लगी।
मैं कहती - वाह बोस क्या मस्त है तुम्हारा लंड, लाओ इसे मेरे मुँह में दो और मैं अमित का लंड मुंह में लेकर चुसती। हम दोनों तकरीबन हरबार बोस के बारे में सोचकर और गंदी बातें बोलकर चुदाई करते।
जब हम मुंबई में थे तब आशिष और अमित साथ में मिलकर कंपनी चलाते थे। वैसे तो अमित वर्किंग पार्टनर थे कंपनी में पर सारा पैसा आशिष का ही लगा हुआ था और इसीलिए हम आशिष को बोस ही कहते थे।
अमित मुझे किसी और से चुदने के लिए उकसाते रहते थे। फिर एक दिन जब रात को हम काफ़ी गर्म हो गए और अमित ने कहा कि बोलो अब तुम्हें किसका लंड चाहिए, मेरा या आशिष बोस का? मैं बहुत गर्म थी। मैंने कहा बोस का तो वो बोले कि कब बुलाऊं बोस को। मैंने भी कह दिया जब भी आपका मन करे। इसके बाद उन्होंने मुझे बोस के नाम से बड़े ही वाइल्ड तरीके से चोदा।
चुदाई पूरी होने पर जब मैं बाथरूम जाकर आई तो अमित वापस वही बात करने लगे और मुझे कहने लगे कि एकबार तुम बोस से चुदवा लो मैं तुम्हें किसी और से चुदते देखना चाहता हूं। मैंने हंसकर उनकी बात टालने की कोशिश की पर आज वो बात छोड़ ही नहीं रहे थे। इसपर मैने पूछा कि अगर मैं हां कह भी दूं तो भी बोस को कैसे बताओगे? इसपर वो बोल कि तुम साथ दो और जैसा मै कहूं करती जाओ बाकी सब मैं देख लूंगा।
आशिष बोस उम्र में मुझसे भी 2 साल छोटे हैं और वो दिखने में भी स्मार्ट हैं। मैं जब भी उनसे मिली थी तो उनके मजाकिया स्वभाव और उनके शारीरिक बनावट से उनकी ओर आकर्षित थी। मैंने यह भी महसूस किया था कि वे भी मुझमें रुचि लेते हैं और मौका मिलते ही मुझे टच करने की कोशिश करते हैं। मैं उनकी नजर मेरे खास अंगों पर महसूस करती थी।
दो दिन बाद अमित ने मुझे बताया कि बोस अगले दिन शाम को हमारे घर आयेंगे और उन्होंने मुझे बोस के लिए एकदम सेक्सी साडी पहनने को कहा। मैं उसदिन काफी नर्वस भी थी और कुछ हद तक एक्साइटेड भी। अमित ने कहा था कि घबराना नहीं है और जैसा वो कहते जाए मुझे वैसे ही करना है।
शाम को बोस के आने से पहले मैं नहाकर बाहर आई और जब मैं आइने के सामने खड़ी थी तो न जाने मुझे क्या सुझा और मैं वापस बाथरूम मे गई और रेजर से अपने नीचे के बाल साफ किए। अब मेरी चूत एकदम साफ और चिकनी हो गयी थी। मैं आइने में देखकर अपने आप से शर्मा रही थी। फिर मैंने अपनी सबसे अच्छी पेंटी और ब्रा निकालीं। मेरी पिंक पेंटी के बीच में जालीदार कपड़ा था और उसमें से जैसे मेरी चूत लुकाछिपी खेल रही थी। ब्रा भी पिंक थी और मेरे बुब्स को बड़ी मुश्किल से सम्हाल पा रही थी। मैंने एक बहुत टाइट पेटीकोट पहना और मेरा ब्लाउज़ भी एकदम लो कट था और उसमें से मेरा बहुत सारा क्लीवेज दिख रहा था। इसके बाद मैंने एक पिंक कलर की सीफोन की साड़ी पहनी जो मेरी डीप नेवल से काफ़ी नीचे बंधी हुई थी। कुल मिलाकर मैं इस तरह तैयार हुई थी कि अगर कोई भी मुझे देखता तो शर्तिया मेरा रेप कर देता।
आखिर वो पल आ ही गया और जैसे ही बेल बजी मैं दरवाजा खोलने जा रही थी उस समय सच मानिए मेरे पेट में जैसे तितलियां उड रही थीं। मैंने दरवाजा खोला तो सामने बोस खड़े थे, उन्होंने एक टाइट टी शर्ट और जिन्स पहन रखी थी। हम दोनों एक-दूसरे को देखते हुए खड़े थे कि पीछे से अमित ने कहा कि बोस को अंदर नहीं बुलाओगी। मैंने कहा आइए बोस, आपका ही घर है। बोस अंदर आए और बोले भाभी आप बहुत अच्छी लग रही हैं। मैं उनको धन्यवाद देते हुए किचन में गयी और उन्हें पानी दिया। अमित ने मुझसे कहा कि गिलास वगैरह ले आओ और तुम भी आ जाओ ड्रिंक लेने तो मैने मना कर दिया और उनसे कहा कि आप लोग लिजिए। वो लोग ड्रिंक्स करने लगे। इस दौरान बोस ने तीन चार बार अमित से कहा कि भाभी बहुत अच्छी लग रही है। मैंने ड्रिंक्स नहीं ली क्योंकि मैं इन पलों को अपने पूरे होश मैं मानना चाहती थी। मैंने अपने आपको अंदर से इस सबके लिए तैयार कर लिया था।
थोड़ी देर बाद जब मैं किचन में खाने की तैयारी कर रही थी तो अमित और बोस अचानक किचन में आए और अमित मुझसे कहने लगे कि सारिका बोस कह रहे हैं कि तुम बहुत अच्छी लग रही हो और मैं पूछ रहा हूं कि ऐसा क्या अच्छा लग रहा है आपको सारिका में तो बोलने से शर्मा रहे हैं। अब तुमसे ही कहेंगे शायद। फिर अमित ने जब बोस से मेरे सामने पूछा तो वो बोले कि भाभी पीछे से बहूत होट लग रही है। अमित ने कहा कि पीछे से क्या मतलब जरा खुल के बताइये। बोस ने कहा रहने दो भाभी नाराज हो जायेगी। तब अमित ने कहा कि नहीं होगी नाराज और मुझे इशारा किया तो मैने कहा बोस बोलिए ना मै भला आपसे कैसे नाराज हो सकती हूं। वो दोनों नशे में तो थे ही। तब बोस ने कहा कि भाभी की गांड बहुत अच्छी है। इसपर अमित ने कहा कि आपको कैसे पता आपने तो कभी छुई ही नहीं। मैं शर्म के मारे मरी जा रही थी। फिर अमित ने एकदम से बोस का हाथ पकड़कर मेरी गांड पर रखते हुए कहा लिजिए बोस छूकर देख लीजिये कैसी है भाभी की गांड। बोस तो जैसे इंतजार में ही थे उन्होंने मेरी गांड जोर से दबाई और पीछे से आकर मुझसे सट गए। उन्होंने एक हाथ से मेरी गांड दबाते हूए दुसरे हाथ से मुझे अपने से चिपका लिया और मेरी गर्दन और कंधों को चूमने लगे। मैं भी उनसे चिपट रही थी और अपनी गांड को पीछे करके उनके पेंट पर दबा रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे कि अमित बोले-बोस जरा आराम से, आइए भाभी को हॉल में लेकर आइए और आराम से सोफे पर बिठाइए। बोस मुझे वैसे ही पकडे हुए करीब-करीब खींचते हुए हॉल में ले गए और सोफे पर बैठते हूए मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा दिया। मैंने अपनी बांहें उनके गले में डाल दी। उनके होंठ मेरे होंठों पर आ गए और हम किस करने लगे। अमित हमारे सामने ही बैठे थे। एक 2 या 3 मिनट की जोरदार किस के बाद बोस ने मेरा पल्लू हटाया और मेरे क्लीवेज को देखकर बोले वाह भाभी आप तो आगे से भी बहुत मस्त हैं। और वो मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे बुब्स दबाते हुए चूमने लगे। इसपर अमित खड़े होकर हमारे पास आए और बोस को बोले रुकिए बोस मैं आपकी मदद कर दूं। हम अमित को देखने लगे तो उन्होंने आगे बढ़कर मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए और फिर मेरा ब्लाउज खोलकर मेरे ब्रा में कैद बुब्स बोस को दिखाते हुए बोले कि लिजिए अब चुमिये इन्हें।
बोस तो जैसे पागल हुए जा रहे थे। मैं भी गर्म हो रही थी और अमित की करतुतों पर आश्चर्य कर रही थी पर साथ ही साध बहुत इरोटिक फील कर रही थी। बोस मेरी ब्रा के ऊपर से अधखुले बुब्स को चुम रहे थे, चाट रहे थे। फिर अमित ने वापस हमे चकित किया और मेरी ब्रा का हूक खोलकर और मेरे बुब्स को पकडकर बोस के सामने परोसते हूए कहा लो बोस ये आपके लिये हैं अब इनको पुरा प्यार कीजिए। बोस मेरे बुब्स को देखकर पागल हो गये और एक बुब को मुंह में लेकर और दूसरे को हाथ से दबाने लगे। अब मैं भी काफ़ी गर्म हो गयी थी। मेरा हाथ बोस के पेंट को टटोल रहा था। अमित ने ये देखा तो मेरा हाथ पकडकर बोस के पेंट के उभार पर दबा दिया। मैंने उभार को दबाते हूए मसल दिया। तब अमित बोले कि सारिका अपने खिलोने को बाहर तो निकालो। मैं उठकर बोस के सामने बैठ गई और उनकी पेंट की जिप खोलकर अंदर हाथ डाला। ओ माई गोड बोस का लंड कितना कडक था और मुझे ऐसा लगा कि वो अमित के लंड से बड़ा भी था। मेरी अब तक की लाइफ में मैंने पहली बार अमित के अलावा किसी और का लंड पकडा था।
जैसे ही मैंने बोस का लंड बाहर निकाला वो मेरे सामने एकदम खड़ा हो गया। मैं उसको हाथ में लेकर देख रही थी कि फिर अमित बोले - सारिका इसको प्यार करो और इसका स्वाद कैसा है बताओ। मैंने बोस की तरफ देखते हुए लंड के सुपाडे को मेरी जीभ फिराकर चाटते हूए लंड को मुंह में ले लिया। बोस आहें भरते हुए लंड को मेरे मुंह में ठुसने लगे और मेरा सिर पकडकर अपने लंड पर दबाने लगे। कुछ देर उनके लंड को चुसने के बाद उनको झाडे बिना मैंने लंड बाहर निकाल दिया और बोस को सोफे से उठाकर खींचते हुए बेडरूम में ले गई। हमारे पीछे अमित भी बेडरूम में आ गए। मैंने बेड पर लेटते हूए बोस को ऊपर आने को कहा। मैं अबतक ऊपर से ही नंगी थी। बोस ने अपना टी शर्ट और पैंट निकाल दिया और अपनी चड्डी उतार दी। मैंने झट से उनका लंड पकड़ा और उनको अपने बुब्स पर खींचा। वौ अपना लंड पकडे मेरे बुब्स पर बैठ गए। तब मैंने अपने दोनों बुब्स को मिलाकर उनसे बुब्स के बीच लंड डालने को कहा। उन्होंने मेरे मंगलसूत्र को साइड में लेना चाहा तो मैने उनका हाथ हटाते हूए इशारे से मना कर दिया और फुसफुसाते हुए कहा कि मेरे बुब्स के साथ इसे भी चोदो। वो एकदम तैश में आ गये और मेरे बुब्स को चोदते हूए और मेरे मंगलसूत्र पर धक्के लगाते हुए झड गये। उन्होंने सारा माल मेरे बुब्स पर छोड़ दिया। कुछ बुंदे मेरे मुंह और चेहरे पर भी गिरीं। मेरे मंगलसूत्र पर भी बहुत सारा विर्यं गिरा। फिर मैंने उनका लंड मुंह में लेकर साफ किया। फिर मैंने देखा कि दुसरी ओर अमित अपना लंड हाथ में लेकर बैठा है और हमें ही देख रहा है।
इसके बाद का बोस से चुदाई का अनुभव फिर कभी.....
बोस ने मेरी पेंटी में हाथ डालते हुए मेरी आँखों में देखा जैसे मुझसे फिंगर करने के लिए पूछ रहे हों, मैने सिर हिलाया और कहा -प्लीज। बोस का हाध अब मेरी चुत को जोर जोर से सहलाने लगा और उन्होंने अपनी दो ऊंगलियां मेरी चुत के अन्दर घुसा दी। मैं जोर जोर से आंहें भरने लगी और एक मिनट में ही मेरा शरीर अकडने लगा और फिर मैं अपने चरम पर पहुंच गयी। मैंने कभी भी इस तरह का ओरगेज्म फील नहीं किया था। बोस का हाथ मेरी चुत के पानी से भीग गया था उन्होंने हाथ बाहर निकाल कर मेरी ओर देखते हुए अपनी ऊंगलियां मुंह में डाल दी और चाटने लगे। हम दोनों बिना चुदाई किये एक एक बार अपने चरम पर पहुंच गए थे।
मैने अपनी सांसों पर काबू पाया और बाथरूम जाने के लिए उठी तो अमित ने मेरे पेटीकोट का नाडा खोल दिया और बोस से कहा कि बोस आप ही सारिका को बाथरूम ले जाइए। बोस मुझे पकडकर बाथरूम में ले गए। हमारे बाथरूम का दरवाजा हमारे बेड के सामने ही है। बाथरूम में जाकर मैंने शोवर अॉन किया तो बोस मेरे पीछे आकर मेरी गर्दन पर किस करते हुए मेरे बुब्स दबाने लगे। मैं घुमकर उनके सामने आ गई और उनका सिर मेरे बुब्स पर दबा दिया। मेरी नजर बाथरूम के खुले दरवाजे पर पड़ी, मेरे पति सामने बैठे हमारी हरकतें देख रहे थे। बोस मेरे बुब्स चुसते चुसते नीचे बैठ गए और मेरी नाभि के आसपास चुमते हुए बोले कि भाभी तुम्हारी हर चीज़ कितनी मस्त है और उन्होंने अपनी जीभ मेरी नाभि में डाल दी और चाटने लगे। मैं तो सातवें आसमान पर थी, मेरे पति के बोस उनके ही सामने मेरी नाभि को चाट रहे थे और उनके हाथ मेरी गांड को मसल रहे थे।
एकाएक बोस उठे और उन्होंने शोवर बंद कर दिया और फिर बैठते हुए मेरी पेंटी को झटके से उतार दिया। उन्होंने मेरी जांघों को फैलाने का इशारा किया तो मैं अपनी जांघों को फैलाकर खड़ी हो गई। मेरी साफ चिकनी चुत अब उनके सामने थी। एक पल तो वो देखते ही रह गए और फिर बोले वाह भाभी क्या मस्त चुत है आपकी, और वो मेरी चुत पर मुंह रखकर चुमने लगे। और फिर धीरे-धीरे उनकी जीभ मेरी चुत चाटते हुए चुत के अन्दर घुस कर अपना करिश्मा दिखाने लगी।
सच्ची कहुं तो अमित ने कभी इस तरह नहीं चाटी थी मेरी चुत एकदम वाइल्ड और रफ। अमित सामने से सब देख रहे थे और वो बोले बोस सारिका ने खास आपके लिये अपनी चूत को साफ किया है आप पूरे मजे लिजिए इसकी चुत के। कुछ देर चुत चटवाने के बाद मैं जब पूरी गर्म हो गई तो मैने बोस को कह अब करिये ना। तब बोस खडे हो गये और मुझसे पूछा कि भाभी क्या करना है? मैने कहा कि अब डल दिजिये तो वो बोले क्या डालूँ भाभी? आखिर मैने कहा कि अपना लंड डालिये मेरी चुत में और मुझे चोदिये। बोस तैश में आ गए और मुझे उल्टा झुका दिया। अब मैं अमित के सामने मुं करके कुतिया की तरह झुकी हुई थी और बोस मेरे पीछे आ गए। और फिर उन्होंने अपना लंड पीछे से मेरी चुत के प्रेम द्वार पर टिकाया और धक्का दे दिया। बोस का लंड मेरी चुत में समा गया। पहली बार मैंने लंड को काफ़ी अन्दर तक महसूस किया। बोस धक्कों पर धक्के लगाये जा रहे धे और अमित उनको और उकसा रहे थे कि बोस ऐसे ही मारो सारिका की चुत, और जोर से चोदो इसकी चुत। आखिर करीब सात आठ मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक एक कर अपने चरम तक पहुंचे।
इसके बाद हमने एक-दूसरे को नहलाया और फिर बाथरूम से बाहर आकर डिनर किया। डिनर के दौरान भी अमित और बोस मुझे छेडते रहे। उस रात मेरी दो बार और चुदाई हुई। बोस मेरी गांड भी मारना चाहते थे पर मैं नहीं मानी क्योंकि मुझे बहुत डर था। इसके बाद एक महीने में बोस ने मुझे तीन बार घर आकर चोदा। फिर एक दिन बोस ने मुझे बताया कि उनके बिजनेस पार्टनर राजकोट से आ रहे हैं और वो मुझे उनके साथ शेयर करना चाहते हैं। मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। इस पर वो नाराज हो गए और फिर मुझे बहुत समझाया। मैंने उनको कहा कि अमित को कैसे बतायेंगे तो वो बोले कि अमित को मैं कह दूंगा कि सारिका को मैं लोनावला अपने फार्म हाउस पर ले जाना चाहता हूं।
इसके बाद लोनावला फार्म हाउस पर मेरी चुदाई और वहीं से मेरे स्लट बनने की कहानी फिर किसी दिन.....
इसके बाद एक दिन बोस और हम दोनों घर पर चुदाई कर रहे थे और दो दिन बाद अमित बिजनेस के लिए बेंगलुरु जाने वाले थे तब बोस ने अमित से कहा कि जब तुम बेंगलुरु जाओगे तो मैं सारिका को लोनावला ले जाऊंगा। अमित ने कहा कि वहां अगर किसी ने देख लिया तो प्रोब्लम हो जायेगी। बोस ने कहा कि हम फार्महाउस से बाहर नहीं जायेंगे और उनका फार्महाउस हैभी काफी एकांत में। फिर जब मैंने अमित से कहा कि डरने की जरूरत नहीं है और मैं सब अच्छी तरह से संभाल लुंगी तो अमित मजाक में बोले कि बहुत उतावली हो रही हो चुदवाने के लिए। और फिर उन्होंने हमें इजाजत दे दी।
तब तक बोस ने मुझसे या अमित से पंकजभाई के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। फिर जिस दिन अमित बेंगलुरु चले गये तब उनके जाने के बाद बोस का फोन आया कि आज शाम हम लोनावला जायेंगे और पंकजभाई भी हमारे साथ होंगे। मैंने बोस को कहा कि हम दोनों ही जाते हैं मुझे किसी और के साथ जाने में डर लगता है तो बोस बोले कि तुम बेफिक्र रहो मै हूं ना। तुम सिर्फ एन्जॉय करो। इसके बाद बोस ने मुझे अपनी चूत को साफ करने और बगल के भी बाल साफ करने को कहा। वैसे तो मैं सब साफ ही रखती हूं पर फिर भी मैंने चुत को और बगल को एकदम साफ और चिकना बना दिया। बोस ने मुझे कुछ नयी और सेक्सी ब्रा और पेंटी भी खरीदने को कहा। मैंने 3 जोड़ी सेक्सी ब्रा पेंटी खरीदी। बोस ने मुझे 7 बजे तक तैयार रहने को कह दिया था। मैं डर भी रही थी और कुछ हद तक एक्साइटेड भी थी।
शाम करीब 7 बजे बोस का फोन आया और उन्होंने मुझे हमारे घर से आगे एक बैंक के पास बुलाया। मैं एक बेग लेकर वहां पहुंची तो बोस की स्कोडा कार खड़ी थी। बोस बाहर आये और मेरा बेग लेकर मुझे पीछे की सीट पर बैठने के लिए कहा। मैं कार में बैठी तो मैने देखा कि आगे की सीट पर एक आदमी बैठा हुआ था। वो पंकजभाई थे। उन्होंने कुर्ता पाजामा पहना था। डील डोल से वो हट्टे-कट्टे लग रहे थे और उम्र मे करीब 50-55 के लगभग। बोस ड्राइविंग सीट पर बैठे थे। बोस ने मुझसे कहा कि सारिका ये पंकज भाई हैं। मैने उनसे हेलो कहा।
बोस कार चलाते चलाते बोले कि सारिका अकेले पीछे बैठकर बोर हो जाऐगी, पंकजभाई आप उसे कंपनी दिजिये और उन्होंने कार एक तरफ रोक दी। पंकजभाई बाहर निकले और पीछे आकर मेरे पास बैठ गये। मुझे शर्म आ रही थी। बोस ने कार चला दी। मैंने साडी पहनी हुई थी। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद पंकजभाई बोले कि यार आशिष तुमने मुझे पीछे तो भेज दिया पर ये तुम्हारी सारिका तो शर्मा रही है और कंपनी भी नहीं दे रही। इसपर बोस ने मुझसे कहा कि सारिका बी कंफर्टेबल और पंकजभाई तो अपने ही है उनसे क्या शर्माना। अब पंकजभाई ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और दूसरे हाथ में मेरा हाथ लिया और मुझे अपनी और खींचा। मैं उनके चोडे सीने से जा लगी। उन्होंने मेरा मुँह ऊपर उठाया और मेरे माथे और पलकों पर हल्का सा चुमा। फिर उन्होंने मेरे होठों पर अपने होठ रखे और मुझे किस करने लगे। जब मैंने अपने होठ नहीं खोले तो उन्होंने मुझे जो र से किस करना शुरू किया और अपनी जीभ निकाल कर मेरे होठों को खोलने और जीभ को मेरे मुँह में डालने लगे। अब मैं भी उनका साथ देने लगी थी और फिर जैसे ही मैंने अपने होठ खोले उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी और हम दोनों एक-दूसरे से जीभ लडाने लगे। कुछ देर जोरदार किस करने और एकदूसरे का थुंक चखने के बाद उन्होंने मुझे सीधा किया। इस बीच मेरा पल्लू सरक चुका था उन्होंने जब मेरी क्लीवेज देखी तो एकदम बोल पड़े कि वाह सारिका तुम्हारे बबले कितने मस्त हैं और वो मेरे ब्लाउज के ऊपर ही किस करने लगे और एक हाथ से मेरे बुब्स दबाने लगे। मुझे भी मजा आने लगा।
बुब्स को जोर जोर से दबाते हुए वो मेरा ब्लाउज खींचने लगे। मैंने उनसे रुकने को कहा और पहले मेरे बिखरे हुए बालों को पीछे लेकर एक बन सा बांधा और फिर अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए। मेरी लाल कलर की ब्रा के अंदर से मेरे बुब्स देखकर वो तो जैसे पागल से हो गए और मेरे बुब्स को मुंह में लेने लगे। मेरी ब्रा से मेरी कडक हो रही निप्पल्स को मुंह में लेने लगे। मैंने उनको पीछे से ब्रा का हुक खोलने को कहा और जैसे ही उन्होंने हूक खोला तो मैने ब्राको ऊपर कर दिया। अब मेरे दोनों बुब्स पंकजभाई के सामने थे। मेरा ब्लाउज साइड में हो गया था और ब्रा ऊपर हो गयी थी।
पंकजभाई मेरे बुब्स पर टुट पडे मेरा हाथ उनके सिर को अपने ब
बुब्स पर दबा रहा था। वो मेरे बुब्स को जोर जोर से चुसने लगे। कुछ देर चुसने के बाद उनका एक हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरी नाभि पर आ गया और वो उंगली से मेरी नाभि सहलाने लगे। इस बीच बोस कार चलाते हुए हमें देख रहे थे और उन्होंने पंकजभाई को पूछा कि कैसी लगी हमारी सारिका? पंकजभाई ने जवाब में कहा कि एकदम मीठी।
अब मैं भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी मैने अपना हाथ पंकजभाई के पाजामे के ऊभार पर रखा। सच कहती हूँ उनका लंड इतना मोटा और बड़ा फील किया मैने कि वो मुझे बोस के लंड से भी काफ़ी बड़ा लगा। और उनका लंड एकदम कडक था। मैंने उनके लंड को सहलाते हुए जोर से दबा दिया तो उनकी आह निकल गयी। वोअब भी मेरी नाभि सहला रहे थे और फिर एकाएक उन्होंने एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी गांड सहलाई। उनका हाथ मेरी गांड पर घुमने लगा और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया मेरे हाथ से उनका लंड छुट गया। उन्होंने दोनों हाथों से मेरी गांड पकडी थी और वोमुझे किस कर रहे थे। वो मेरी गांड जोर जोर से दबाते हुए बोस से बोले कि आशीष तुम सही कहते थे सारिका की गांड वाकई में लाजवाब है।
इसके बाद उन्होंने मुझे कहा कि सारिका मेरा लंड कैसा है? मैं शर्मा कर बोली अच्छा है तो वो बोले कि इसको बाहर निकाल कर देखोगी नही?
और मेरा हाथ पकडकर लंड पर रख दिया। मैंने उनका कुर्ता ऊपर किया और देखा कि उनके पाजामे में जिप लगी है। मैंने जिप को नीचे किया और अन्दर हाथ डाला। उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था। माई गोड क्या मस्त लंड था उनका, एकदम कडक और गर्म। मैंने लंड को बाहर निकाला और देखा कि उसके लाल सुपाडे पर कुछ बुंदे पानी की थी। मैंने अपने आप को झुकाते हुए सुपाडे पर होठ से चुमा और उसपर अपनी जीभ फिरायी। लंड की सुगंध ने मुझे मदहोश कर दिया। पंकजभाई बोले कि सारिका इसको मुंह में लो। मैने उनके लंड को मुंह में लिया और चुसने लगी। इस बीच पंकजभाई का हाथ मेरे पेट से नीचे होते हुए मेरी चुत पर आ रहा था। मैंने अनजाने में ही अपने पैरों को फैला दिया। अब उनका हाथ मेरी चुत को साडी के ऊपर से ही सहला रहा था।
मै पंकजभाई का लंड चुस रही थी और चाट रही थी। वोबोल रहे थे कि हां सारिका ऐसे ही चुसो। बोस भी ये सब देख सुन कर अपने लंड को दबा रहे थे। कुछ देर में पंकजभाई जोर जोर से लंड को मेरे मुंह में डालने और निकालने की कोशिश करने लगे। कार की पिछली सीट पर ये सब बहुत कंफर्टेबल नहीं था फिर भी मैंने उनके मस्त लंड को चुसना जारी रखा और थोडी ही देर में पंकजभाई ने मेरे मुंह में ही अपना पानी छोड दिया। मैंने सारा पानी पीकर उनका लंड बाहर निकाला और उसे अच्छे से चाटकर साफ किया।
इसके बाध पंकजभाई ने बोस से कहा कि तुम्हारी सारिका तो एकदम मस्त और लाजवाब है और फिर मेरी गांड दबाते हुए कहा कि इसकी गांड बहुत मस्त है, तुमने सारिका की गांड मारी या नहीं? जब बोस ने कहा कि नहीं तो पंकजभाई मेरी गांड में जोर से उंगली करते हुए बोले गुड, अब मैं मारूंगा सारिका की गांड.......
आप सभी का मेरी लेखनी को सराहने के लिए धन्यवाद।
इसके बाद जब हम लोनावला पहुंचने वाले थे तो फार्म हाउस आने के पहले बोस ने कार एक हॉटल पर रोक दी। और कहा कि चलो यहां डिनर करके ही फार्म हाउस जायेंगे। मैंने अपने कपड़े ठीक किये और कार से नीचे उतरी। पंकजभाई अब भी मस्ती के मुड में थे और पार्किंग से रेस्टोरेंट जाते हुए मेरी गांड दबा रहे थे।
रेस्टोरेंट में हम लोग एकतरफ बैठ गए। वहां ज्यादा लोग नहीं थे। मैं और पंकजभाई साथ में बैठे और बोस हमारे सामने। सुप वगैरह आर्डर करने के बाद पंकजभाई का हाथ मेरी जांघों पर घूम रहा था। वहां के वेटर भी हम लोगों को अजीब तरीके से देख रहे थे या शायद मुझे ही ऐसा लग रहा था। तभी पंकजभाई मेरी जांघ पर हाथ फिराते हुए मेरे कान में बोले-सारिका तुम बाथरूम जाकर अपनी पेंटी उतार कर आओ। मैंने कुछ आश्चर्य से उन्हें देखा तो वो फिर से मेरे कान में बोले कि पेंटी की वजह से मैं तुम्हारी गांड का सोफ्टनेस फील नहीं कर पा रहा हूं। मुझे उनकी इन बातों से बहूत शर्म आ रही थी। फिर भी मैं बाथरूम गयी और अपनी पेंटी उतारकर अपने पर्स में रखकर वापस आकर पंकजभाई के पास बैठ गई। मेरी पेंटी एकदम गीली हो चुकी थी।
जैसे ही मैं बैठी तो पंकजभाई ने अपना हाथ मेरे नीचे डाल दिया और मेरी गांड को सहलाते हुए बोले वाह सारिका अब तो तुम्हारी गांड नंगी है और कितनी मुलायम है ये। बोस सब देख रहे थे पर उन्हें ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था। बोस ने पंकजभाई से पूछा कि क्या बात है तब पंकजभाई ने मुझसे मेरी पेंटी मांगी। और जब वैटर खाना रखकर दुसरी ओर चला गया तब मैंने पर्स में से पेंटी निकाल कर पंकजभाई के हाथ में दे दी। पंकजभाई ने मेरी गीली पेंटी को अपने नाक के पास ले जाकर उसे सूघते हुए बोस के हाथ में दे दी। सच कहती हूँ उस लम्हे का इरोटिक पना मुझे आज तक मदहोश कर देता है।
बोस ने पेंटी को देखते ही पंकजभाई को कहा कि ये आपने कब उतारी? तो पंकजभाई बोले अभी उतारी है सारिका ने हमारे लिए ताकि मैं इसकी गांड तक और तुम इसकी चुत तक आसानी से पहुंच सको। और वो दोनों हंसने लगे। इस बीच खाना खाते हुए पंकजभाई अपने हाथ से मेरी गांड सहला रहे थे, दबा रहे थे और बोस अपने पैर की उंगलियों से मेरी चुत सहला रहे थे। मैंने भी बोस के लिए अपनी टांगों को फैला रखा था। इस तरह मस्ती करते हुए हम लोगों नेखाना खाया और फिर फार्म हाउस की तरफ चल दिए। जहां जाने के बाद मुझे दो लंडो से चुदना था। और मैं इसके लिए तैयार थी.....
इसपर पंकजभाई ने कहा-क्या हुआ?
मैं-जरा सब्र सै
पंकजभाई - तुम्हारी गांड ने तो गजब ढाया हुआ है, कैसे सबर करूं।
मैं-ऐसा क्या है मेरी गांड में।
पंकजभाई - कितनी मुलायम और मस्त है तुम्हारी गांड।
ये कहते हुए वो मेरी गांड को ज़ोर जोर से दबाने लगे। और बोस से बोले कि अब तुम ही बताओ सारिका को। बोस सब देख रहे थे, वो उठकर हमारे पास आये और मुझे पीछे से पकड लिया। और बोले कि पंकजभाई मैंने तो आपको पहले ही कहा था कि आपको एक मस्त गांड सै मिलवाऊंगा।
दोनों के मुह सै मेरे बारे मे ऐसी बातें सुनकर एक तरफ तो शर्म आ रही थी पर दुसरी तरफ मेरी चुत बहने लगी थी।
दोनों के हाथ मेरे खास अंगों पर घुम रहे थे। पंकजभाई ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वौ मुझे बेतहाशा चुमने लगे। मैं भी उनका साथ देने लगी। हमारी जीभ एकदूसरे की जीभ से खेलने लगी। किस करते हुए मुझे पंकजभाई का लंड अपनी चुत पर और पीछे से बोस का लंड अपनी गांड पर महसुस हुआ। अब मेरी समझ मेंआ गया था कि आज कैसे मेरी चुदाई दो दो लंडो से होने वाली है।
फिर पंकजभाई ने मुझे बेड पर बिठाया और मेरे सामने खड़े होकर बोले - लो सारिका अब इस लंड को बाहर निकालो। मैने उनकी पेन्ट उतारी और उनकी अंडरवियर मैं हाथ डालकर लंड को बाहर निकाला। मैं बोली-पंकजभाई कितना कडक है ये। तो पंकजभाई बोले कि कया कडक है मेरी जान। मैंने भी अब शर्म छोड़ दी थी। झट से बोली आपका लंड। फिर मैनै बोस को अपने पास बुलाया और उनका लंड भी बाहर निकाला। अब मेरे दोनों हाथों में एक एक लंड था। मेरी एक दबी हुई फेन्टासी आज पुरी होने जा रही थी।
मैने दोनों लंडो पर बारी बारी से किस किया। इस बीच उन दोनो ने मेरा ब्लाउज़ और ब्रा उताल दिए और फिर मेरा पेटीकोट भी उतर गया। पेंटी तो मेरी हाटल में ही उतर गयी थी। उन दोनों ने पहले मेरे बुब्स को बारी बारी से चुसा। पंकजभाई बुब्स को बहुत जोर से चुसतेहैं। अब मुझसे सब्र नही हो रहा था। मैने कहा पंकजभाई अब डालिये। वो बोले क्या डालुं मेरी जान। मैंने कह आपका लंड डालिये। तो वो बोले कहां डालूं। मैंने कहा प्लीज़ तडपाइऐ मत और आपका लंड मेरी चुत में डालकर मुझे चोदिए।
पंकजभाई ने मेरे पैरों के बीच आकर लंड को मेरी गीली चुत मैं घुसा दिया और फिर वो मुझे चोदने लगे। मेरी चुत ने इससे पहले इतना बड़ा लंड नही लिया था। उनका लंड मुझे अंदर तक महसूस होने लगा। बोस हमारी चुदाई देख रहे थे, मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और उनका लंड अपने मुँह में ले लिया। अब मेरे दो छिद्रों को दो लंड चोद रहे थे। थोड़ी देर की चुदाई के बाद एक के बाद एक हम तीनों झड गये। बोस मेरे मूूंह में झडै और पंकजभाई मेरी चुत में। मैनै पहले बोस का लंड चाटकर साफ किया और फिर पंकजभाई का लंड मुंह में लिया और तभी मेरे फोन की घंटी बजी। बोस ने देखकर कहा किअमित है याने मेरे पति। मैनै इशारे से कहा कि कह दो बाद में करें। लेकिन पंकजभाई ने कहा कि बात करो। और स्पीकर ओन कर दिया।
मैं-।हेलोअमित
अमित -कैसी हो जान, फार्म हाउस पहुंच गये?
मैं- हां। अच्छे से अमित -क्या कर रही हो
मैं- वो मैं वो
अमित - ओह समझा, मजा आ रहा है ना बोस के साथ।
पंकजभाई ने तभी लंढ को मेरे मुँह में डाल दिया।
मैं-ऊह ऊह पुच
अमीत-क्या हुआ, क्या मुह में है
तभी बोस बोलै 1अमित, सारिका चुस लही है बाद में बात करेगी
अमित1ओ के बोस अच्छे से चुसवाओ औल सारिका बोस को पूरा मजा देना। अमित को पंकजभाई के बारे में कुछ नहीं बताया इसके बाद मैंने पंकजभाई का लंड भी चाटकर साफ किया
अगले अपडेट में पंकजभाई द्वारा कैसे मेरी गांड का उद्घाटन हुआ।
रात बहुत हो चुकी थी। फिर हम सब बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गय थकान की वजह से नींद आ रही थी। बोस और पंकजभाई ने मुझे बीच में सुलाया
मेरु गांड पंकजभाई की तरफ थी। मैंने नयी खरीदी हुई ब्रा और पेंटी पहनी थी। उपर से एक सेक्सी नाईटी डाल रखी थी। पंकजभाई का हाथ अब भी मेरी गांड को सहला रहा था। फिर थोडी ही देर मेंमुझे नींद आ गयी।
जब मेरी नींद खुली तो हल्का सा उजाला हो गया था। मैने देखा कि वो दोनो सो रहे हैं। पंकजभाई का एक पैर मेरे जांघ पर था और बोस का हाथ मेरे बुब्स पर था। मैने दोनों के हाथ धीरे से हटाए और बाथरूम में गयी। थोड़ी देर बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आई तो देखा कि पंकजभाई जाग गए थे। वो उठे और मुझे पकड़ा। फिर मेरी गांड दबाते हुए बोले कि जिन तैयार हो जाओ अब तुम्हारी गांड मारूंगा
वो भी बाथरूम जाकर आयेऔर सामने सोफे पर बैठ गये। उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे अपनी गोद में बिठाया, उन्होंने पाजामा पहना था और उसके अंदर कुछ भी नहीं था। मेरी नाइटी भी एकदम शोर्ट थी, उनके गोद में बैठते ही मेरी गांड मैं उनका लंड छुभने लगा। एकदम कडक था उनका लंड। उन्होंने आवाज देकर बोस को उठाया और कहा कि आशीष उठो, सारिका गांड मरवाने के लिए तैयार है। मुझे उनकी बातें सुनकर हंसी भी आ रही थी और मजा भी। मैंने उनके गले में बाहें डालीऔर उन्हें किस करने लगी। बोस भी उठ गये थे। हम जोर जोर से किस करने लगे जैसे कि एक-दूसरे को खा जायेंगे। बोस भी र्फेश हो गये थे। उन्होंने भी मुझे पकड़ा और वो मेरी पीठ और गर्दन पर चुमने लगे।
फिर पंकजभाई ने मुझे गोद से उठाया और मेरी नाइटी को उतार फेंका। फिर पंकजभाई ने मेरी चड्डी उतारी और बोस ने मेरी ब्रा उतारी। इस बीच उन दोनों ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे। अब हम तीनों नंगे थे। पंकजभाई ने मुझे बेड पर लिटाया। बोस और पंकजभाई मेरे एक एक बुब पर टुट पडे। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर पंकजभाई धीरे-धीरे नीचे कीओर जाने लगे, वो मेरी नाभि तक पहुंच कर रुक गये और मेरी नाभि को चुमने लगे। अब उनकी जीभ मेरी नाभि को टटोल रही थी। मैं मदहोश सी होने लगी। अपने घर से दूर मैं एक पढी लिखी शादीशुदा हाउसवाइफ अपने पति के बोस और उनके बड़ी उम्र के दोस्त के सामने नंगी सोई हुई थी और वो दोनों मेरे जिस्म से खेल रहे थे।
पंकजभाई अब और नीचे जाने लगे थे, वो मेरी चुत तक पहुंच चुके थे। मेरी उत्सुकता बढती जा रही थी। बोस नेअब मेरे दोनों स्तनों पर कब्जा कर लिया था।पंकजभाई ने अपने होंठ मेरी चुत पर रखे। उन्होंने मेरी चुत को हल्के से किस किया। फिर उन्होंने मेरी चुत की फांको को खोला और अपनी जीभ अंदर डाली। वो मेरी चुत मेंअपनी जीभ घुमा रहे थे। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गई थी। वो अब जोर जोर से मेरी चुत चाटने लगे थे। उनका एक हाथ मेरी गांड को सहला रहा था। बोस मेरे बुब्स चुसते हुये एक उंगली से मेरी नाभि को सहला रहे थे। मेरा हाथ अपने आप पंकजभाई के लंड तक पहुंच गया था। मैंने उनका लंड कसकर पकड लिया। पंकजभाई ने मेरी चुत को चाटना जारी रखा। वो मेरी कलिट्स दबाते और जीभ से चाटते। मेरी चुत से मानो नदी बहने लगी। उन्होंने मेरी चुत को चाटना और चुसना जारी रखा। मैं झडने लगी थी। अपनी अब तक की लाइफ में मै पहली बार इतनी झडी थी।
मेरा शरीर अकडता देख पंकजभाई समझ गये। एकाध मिनट रूकने के बाद वो बोस से बोले - आशीष अब हम सारिका की गांड मारेंगे।
मैं बोली-पंकजभाई मुझे डर लगता है, आप मेरी गांड को बख्श दिजिये, मैंने सुना है बहुत दर्द होता है। चाहे तो आप फिर से मेरी चुत मार लिजिए।
पंकजभाई - डरो मत सारिका मुझे पता है कि थोड़ा दर्द तो होगा पर बाद में तुम्हें बहुत मजा आयेगा, और जब अमित ने पहली बार तुम्हें चोदा था तब भी दर्द हुआ होगा लेकिन बाद में तुमने उछल उछल कर चुदवाया होगा ना। ओर मैं एक क्रीम भी लाया हूं जिससे तुम्हें बहुत कम दर्द होगा।
तभी बोस बोले-सारिका हम तेरी चुत भी मारेंगे और गांड भी। तुझे बहुत मजा आयेगा ।
मैं - बोस मैंने आज तक अपनी गांड मरवाई नहीं है और पंकजभाई कालंड कितना मोटा और बड़ा है छोटे से छेद में कैसे जायेगा।
पंकजभाई - तुम सब मुझपर छोड दो सारिका और बस मजे लो। अब एक काम करो जरा घोडी बन जाओ।
फिर उन्होंने मुझे घोडी बनाया और एक क्रीम की डिब्बी निकाली। पहले उन्होंने अपना थुंक मेरी गांड के छेद पर लगाया और थोड़ा जीभ से चाटा भी। मैं- पंकजभाई ये क्या कर रहे हैं, इतनी गंदी जगह मुंह लगा रहे हैं।
पंकजभाई - सारिका ये गंदी जगह नहीं, ये तो मेरे लिए जन्नत है। और तुम्हारी तो गांड कितनी साफ सुथरी है।।। और वो मेरी गांड चाटने लगे। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर उन्होंने मेरी गांड के छेद पर क्रीम लगाईं और अपने लंड पर भी थोड़ी क्रीम लगाई।
अब पंकजभाई ने अपना कडक लंड मेरी गांड के मुहाने पर रखा, बोस मेरे सामने आ गये और मुझे कंधों से पकड़ा। पंकजभाई ने पहले धीरे से लंड का एक धक्का मेरी गांड पर लगाया, थोडा सा लंड छेद में गया। अब उन्होंने मेरी गांड को पकडकर एक जोर क धक्का लगाया ऊई मां, मेरे मुंह से निकला, मैंऔर जोर से चिल्लाती उसके पहले मेरे सामने खड़े बोस ने अपना लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया। मैं घों घौं करती रह गयी। अब पंकजभाई ने एक ओर धक्का लगाया। मेरे तो आंसु निकल गये। यहां इतना दर्द हो रहा था और मुंह में दुसरा लंड होने की वजह से चिल्ला भी नहीं सकती थी। एक मिनट ठहरने के बाद पंकजभाई ने मेरी गांड मारनी शुरू की। दर्द तो हो रहा था पर मुझे उनका साथ देना था। फिर पंकजभाई लय मेंआने लगे और लंड को अंदर बाहर करने लगे। अब धीरे-धीरे दर्द मीठा लगने लगा। पंकजभाई ने जब देखा कि मैंसाथ दैने लगी हूं तो वो जोर जोर से मेरी गांड मारने लगे। उधर मुझे बोस के लंड का एहसास हुआ और मैं उसको चुसने लगी। एक तरफ पंकजभाई अपने मोटे लंड से मैरी गांड मार रहे थे और दूसरी ओर बौस मेरे मुँह को चोद रहे थे। कुछ ही देर में पहले पंकजभाई झडे और फिर बोस भी मेरे मुंह मे ही झड गये। मेरी गांड में दर्द हो रहा था पर मुझे अच्छा भी लग रहा था।
इसके बाद मैने उन दोनों के लंड चाटकर साफ किए। फिर उस दिन हम तीनों साथ में नहाये। पंकजभाई ने मेरे पीछे साबुन लगाया और बोस ने आगे। मैंने भी दोनों को साबुन लगाया और उनके लंडों को साबुन से रगड रगड कर धोया। उन्होंने मुझे बाथरूम में भी चोदा और डायनिंग टेबल पर भी। शाम तक चार पांच बार चुदने के बाद आखिर हम घर की ओर रवाना हुए। रास्ते में डिनर लेकर हम रात को घर पहुंचे। मैंने बोस को अमित से पंकजभाई के बारे मे बताने से मना किया। इस तरह से मेरी गांड का उद्घाटन हुआ और मेरा स्लट बनने की और एक बड़ा कदम रहा। इसके बाद मेरा नया अनुभव और भी इरोटिक होने वाला था। अगले अपडेट में उसके बारे में बताऊंगी।
फार्म हाउस की जोरदार चुदाई के बाद मेरी सेक्स के प्रति भूख बहुत बढ गयी थी। बोस कभी कभार हमारे घर आते तब मैं काफ़ी आक्रामक होकर चुदवाती। अब मैं किसी को अपनी तरफ घूरते हुए देखती तो एक्साइट हो जाती। अमीत अपने बिजनेस में बिजी रहते। मैं जब भी बाहर जाती, अपने आप को ज्यादा एक्सपोज करने लगी थी। साडी को नाभि से काफ़ी नीचे पहनना, स्लीवलेस और लो कट ब्लाउज़ पहनकर और साडी को एकदम टाइट बांधकर गांड मटकातेचलने में मुझे मजा आता।
कभी बस में या किसी माल में कोई मुझे टच करता या मेरे अंगो को सहलाता तो मैं बजाय गुस्सा होने के एक्साइट होती और मजे लेती। वैसे तो मुझे बस में सफर करने की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि मैं खुद अपनी कार चलाकर ले जाती हूं पर अब मैं बस में ही जाना पसंद करती। कभी भीड की वजह से कोई मेरे अंग सहलाता या अपना लंड पीछे से मेरी गांड पर दबाता तो मैं उसे रोकने की बजाय उल्टा अपनी गांड उसके लंड पर दबाती।
जब मै हमारी सोसाइटी से बाहर जाती या वापस आती तो सब मुझे घूरते। मैं भी जान बूझकर अपनी चाल से या अपने कपड़ों को सही करने के बहाने उन लोगों को ललचाती। उन दिनों हमारी सोसाइटी मेंएक नया वॉचमैन आया था। उसको अमित के किसी दोस्त ने रखवाया था तो वो अमित की बहुत इज्जत करता था । वो मराठी था और उसका नाम सुधाकर था। शुरू शुरू में मैं और अमित जब बाहर जाते तो वो हमेशा हमें विश करता। वौदिखने में ठीक-ठाक था पर उसकी बॉडी एकदम एथलीट जैसी थी। धीरे-धीरे वो जब मैं अकेली आती-जाती तो मुझसे बात करने की कोशिश करता। कभी जब मैं बाजार से आती तो जल्दी से गाड़ी तक आ जाता और सामान उठाने में मदद करता। मैंने कई बार उसको मेरे बुब्स को घूरते भी देखा। लेकिन जैसे ही मैं उसके सामने देखती वो नजर नीची कर लेता। अब मुझे उसको टीज करने में मजा आता। मैं जान बूझकर उसके सामने पल्लू ठीक करती या उसके टेबल पर हाथ रखकर झुकती और उसको अपनी क्लीवेज दिखाती। जब वो मेरी ओर देखता तो मैं मुस्कुरा देती। अब उसकी हिम्मत बढने लगी थी।
हमारी सोसाइटी मैं दो विंग्स हैं और हर विंग में दो लिफ्ट हैं। एक दिन में बाजार से आयी तो मेरे पास सामान कुछ ज्यादा था। सुधाकर हमेशा की तरह गाड़ी तक आया और सामान उठाया। हम दोनों लिफ्ट तक आये तो मैने देखा कि उस दिन एक ही लिफ्ट चालू थी। वहां आलरेडी 6-7 लोग खड़े थे। सुधाकर मुझसे बोला - भाभी सामान ज्यादा है मै आ जाता हूं छोडने। और जैसे ही लिफ्ट आयी वो मेरे साथ लिफ्ट में आ गया। हम सबसे ऊपर की मंजिल पर रहते हैं। मैं थोड़ा पीछे जाकर खड़ी हो गई। वो धीरे से मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उसके दोनों हाथों में सामान था। मुझेउसके हाथ का दबाव अपनी गांड पर महसूस हुआ, मैने पीछे देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कराया। मैं भी उस दिन थोड़ी हार्नी थी। मै थोड़ा और पीछे हटी और उसके हाथ पर अपनी गांड का दबाव डाला। उसने अपने हाथ को और एडजस्ट किया। हाथ में सामान की थैली होने से वो ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा था। पर फिर भी उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी कि उसने जल्दी से अपनी दो ऊंगलियां मेरी गांड की दरार में फंसा दी। तब तक लिफ्ट आधी खाली हो चुकी थी। मै भी थोड़ा आगे सरक गयी। फिर उसने लिफ्ट से ही मुझे बाहर छोडा और वो नीचे लोबी में लौट गया
इसके बाद दो तीन बार इसी तरह लिफट में मेरे साथ ऊपर आया और मेरे पीछे टच करता। एक दिन जब मैं बाजार से आयी तो बहुत बारिश हो रही थी। उस दिन भी एक ही लिफ्ट चालू थी। मैं काफ़ी भीग गयी थी। सुधाकर ने सामान लिया और लिफ्ट में मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैं थोड़ा पीछे हूई तो वो मुझसे सट गया और मेरी गांड पर अपने लंड का दबाव दिया। उसका लंड कडक हो गया था। मैं मस्त हो गयी थी। मैंने अपन गांड को उसके लंड पर और दबाया। मैंने उसकी गर्म सांसें अपनी गर्दन पर महसूस की। उसने लंड को मेरी गांड पर दायें बायें हिलाया और मेरी गांड की दरार में लगा दिया। मुझे उसका लंड बहुत बड़ा फील हो रहा था।
उस दिन तो इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। पर इसके बाद जब भी मैं उसके सामने आती तो वो मुझे दिखाकर अपना लंड सहलाता। मुझे अब इस टिजिंग में मजा आता। मैं भी उसके सामने जब कोई नहीं होता तो अपना पल्लू हटाती और कभी-कभी तो अपनी चुत भी खुजा देती।
                         
                                    
इसके बाद कुछ दिनों तक हमारी आपस में टिजिंग चलती रही। कभी कभी जब वो अपने लंड को मेरे सामने सहलाता था तो मैं बहुत एक्साइट होजाती और मेरी चुत भी गीली हो जाती। सोसाइटी में दिवाली पर फंक्शन होता है। एक दिन रात बॉक्स किक्रेट खेला जाता है। जब गेम चल रहा था तो मैं सबके साथ गेम दैख रही थी। कुछ लोग दुसरी तरफ़ से गेम देख रहे थे। उस तरफ सोसाइटी की पार्किंग भी है। ज्यादातर लोग मेरी तरफ ही खड़े थे। अमित की टीम की जब फिल्डिंग आयी तो मैं वहां अकेली खड़ी थी। ज़्यादातर लेडीज अपने अपने घर जा चुकी थीं। इतने में मैने देखा कि सामने पार्किंग वाली साइड में सुथाकर खड़ा था और मेरी तरफ देख रहा था। जैसे ही हमारी नजर मिली उसने इधर-उधर देखा और मेरी तरफ देखकर अपने पेंट के ऊपर से अपने लंड पर हाथ रखकर दबा दि या। मैं उसके सामने देखकर मुस्कुरा दी। उसने मुझे इशारेसे उस तरफ आने को कहा। मैंने जैसे उसकी बात पर ध्यान ही नहीं दिया। उसने दो तीन बार मुझे इशारा किया पर फिर भी मैं जब वहां से नहीं हिली तो वो आहिस्ता-आहिस्ता इस तरफ आकर मेरे पास खड़ा हो गया। फिर उसने धीरे से मुझे कहा कि भाभी उस तरफ आइए ना। वहां से गेम का ज्यादा मजा आयेगा। और वो फिर से उस तरफ जाकर एक कार के साइड में खड़ा हो गया। मैंने भी अपना मन कडा किया और यहां वहां देखकर और सारे लोगों की तरफ से आश्वस्त होकर उस तरफ चली गई। मैं कार की दूसरी तरफ खड़ी हो गई। यहां से मैं तो सब कुछ देख सकती थी पर बाकी लोग मुझे मुश्किल से ही देख सकते थे। अभी मैं वहां खड़ी ही थी कि सुधाकर वहां आ गया। मैंने उसको जैसे अनदेखा कर दिया और गेम देखने लगी। तभी वो बोला कि भाभी अमित सेठ की ही टीम जीतेगी। और मैं आपसे मिठाई जरूर खाऊँगा। मैंने कहा अगर अमित जीते तो मैं जरूर तुम्हें मिठाई खिलाऊंगी। तभी लोगों के चिल्लाने की आवाज आयी। गैम काफी रोचक हो गया था। मैं गेम देखने में व्यस्त थी कि अचानक मुझे अपनी गांड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने पीछे देखा तो सुधाकर मुझसे सटकर खड़ा था और ऐसे दिखा रहा था जैसे गेम देखने में मसरूफ हो। उसने धीरे से मेरी गांड पर हाथ फेरना शुरू किया। मैं अनभिज्ञ सी मेच देख रही थी। वो अब मेरी गांड को सहलाने लगा। मैंने थोडा पीछे होकर मानो उसे मेरी गांड सहलाने की मौन स्वीकृति दे दी। वो और ज्यादा सटकर खड़ा रहा और अब उसकी सांसें मुझ अपनी गर्दन पर फील होने लगी। उसने मेरी गांड की दरार मे उंगली डाली। मैं आह कर उठी। मैंने कहा हटो ये क्या कर रहे हो तुम? तो वो हंसते हुए बोला कि भाभी प्लीज़ थोड़ा मजा लेने दिजिये और आप भी मजे लिजिए। और उसने एक हाथ से जोर से मेरी गांड दबाई और दुसरा हाथ मेरे पेट पर रखा। मैं मदहोश सी हो रही थी। मैंने उससे बड़े कमजोर तरीके से कहा कि क्या कर रहे हो कोई देख लेगा। तब वो बोला कि भाभी कोई नहीं देखेगा, आप डरो नहीं। अब उसकी हिम्मत बढती जा रही थी। उसका एक हाथ जहां मेरी गांड को दबा रहा था वहीं दुसरा हाथ मेरी नाभि टटोल रहा था। मेरी नाभि मेी कमजोरी है। मेरी आह निकल गई। वो अब मेरे ऊपर झुका हुआ था। उसने मेरी गांड जोर जोर से दबाई और मेरी नाभि मैं अपनी उंगली डाल दी। जब मैं आह आह करने लगी तो उसने एकदम से मेरा हाथ पकड़ा और पीछे अपनी पेंट के उभार पर दबा दिया। मैंने अपना हाथ छुडाना चाहा तो उसने कसकर मेरा हाथ अपने लंड के उभार पर जोर से दबा दिया और बोल भाभी पकडो ना। मैंने अपने हाथ का दबाव उसके लंड पर डाला तोउसने मेरा हाथ छोड़ दिया और अपने दोनों हाथों से मेरा नाभि और गांड मर्दन चालू रखा। मुझे सब अच्छा लगने लगा था। मैंने अपने हाथ को हटाने की कोशिश ही नही की, उल्टा में उसके लंड के उभार को सहलाने लगी। मैंने महसूस किया कि सुधाकर का लंड काफ़ी मोटा था और बहुत लंबा भी। हम दोनों 2-3 मिनट अपने आप में खोये हो थै कि एकदम से शोर शुरू हो गया। अमित की टीम मेच जीत गयी थी। मैंने जल्दी से अपने आप को छुड़ाया और दुसरी तरफ जाने लगी कि सुधाकर ने मेरा हाथ पकडकर कहा कि भाभी अब तो आपको मुझे मिठाई खिलानी पडेगी। मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा कि जरूर खिलाउंगी तुम्हें मेरी मिठाई और मैं दुसरी तरफ भाग गयी, वहां अमित की टीम की जीत का जश्न मनाया जा रहा था।
इसके बाद सुधाकर की हिम्मत बढ गयी थी। मैं जब भी उसके सामने आती तो वो मेरे सामने ही अपने लंड को दबा देता और अपने होठों पर जीभ फिराकर मुझे इशारे करता। वो मुझे मिठाई की भी याद दिलाता। मैंने उसको एक दिन कह दिया कि तुम्हें तो मैं स्पेशल मिठाई खिलाउंगी। इस बीच मैने सोचा कि मैं अमित को इस सब के बारे में बता दुं। वैसे तो अमित और मेरे बीच कुछ भी छिपा नहीं था। पर ये सोचकर कि अमित वॉचमैन के बारे में न जाने क्या रिएक्ट करे, मैं चुप ही रही।
इस तरफ मेरी आग भी भडक रही थी। फिर एक दिन हमारे नेटिव प्लेस जोधपुर से कुछ मेहमान आयेतो वो वहां से मशहूर गुलाब जामुन लाये। उनके जाने के बाद मुझे सुधाकर की मिठाई के बारे में याद आया। उस दिन अमित के आने से पहले मैं वो गुलाब जामुन लेकर नीचे गयी। सुधाकर अकेले ही बैठा था। मैंने उसे कहा कि ये लो तुम्हारी मिठाई, खास जोधपुर से मंगाई है। उसने गुलाब जामुन मुहं में डाला। जब मैंने पूछा कि कैसा लगा तो वो एकदम मेरे बुब्स पर घूरते हुए बोला कि भाभी आपके ये गुलाब जामुन तो बहुत सोफ्ट हैं। उस दिन मैने काफी लो कट ब्लाउज पहना था और अपना पल्लू भी एक तरफ कर रखा था। मैने उसको कह कि और लो ना और उसके सामने अपने बुब्स पर हल्के से हथ दबाया। वो टेबल के उस तरफ कुर्सी पर बैठा हुआ था। मै उसके सामने झुक कर खड़ी थी। उसने और एक गुलाब जामुन उठाया और बर्तन में उसको नीचोडते हुए कहा कि भाभी बहुत सोफ्ट है आपके गुलाब जामुन और मेरे बुब्स को घूरने लगा। मैं थोड़ा और झुक गई। वो अपनी जीभ को होंठों पर फिराते हुए बोला कि भाभी हमारे गांव में ऐसी मिठी और मुलायम मिठाई नहीं मिलती। पर हमारे कोंकण में फ्रुट अच्छे मिलते हैं, अबकी बार आयेंगे तोआपके लिए जरूर लाउंगा। मैंने कह कोनसा फ्रुट लाओगे? तो वो बोला बताइये आपको क्या पसंद है। मैंने कह मुझे क्या पता तुम्हारे गांव में क्या अच्छा मिलता है। तो वो बोला कि भाभी आपको केला पसंद है? तो मैने कह हां क्यों नहीं पर मुझे तो वो बडे वाले केले पसंद है। इसपर वोएकदम से उठ खड़ा हुआ और अपने लंड पर हाथ दबाते हुए मेरी आँखों में आँखें डालकर बोला कि जरूर भाभी आपको एकदम बड़े वाला केला खिलाउंगा। मैंने कहा देखते हैं कब लाते हो बडेवाला केला।और मैं ऊपर आ गई।
फिर एक दिन करीब चार बजे में कुछ सामान लेकर वापस आयी तो सुधाकर लोबी के बाहर खडा था। जैसे ही मैं गाड़ी से उतरी तो वो सामने आ गया। वो उस समय ड्यूटी पर नहीं था। उस हफ्ते उसकी नाइट शिफ्ट थी। वो मेरे हाथ से सामान लेने लगा तो मैने कहा रहने दो, तोवो बोला कि मैं पहुंचा देता हूं और भाभी आपके लिए मैं गांव से बडे वाले केले भी लाया हूं। आप चलिए मैं सामान और केले लेकर आता हूँ। मैं कुछ बोलने जा रही थी कि वो मेरी आँखों में देखकर बोला कि भाभी अभी आ जाऊं ना आपको केला खिलाने। मैं कुछ भी बोल नहीं सकी और सिर्फ हां में सर हिलाकर लिफ्ट की तरफ बढ गई। वो लिफ्ट में नहीं आया था। मैं घर पहुंच कर जल्दी से बाथरूम गयी और बाथरूम से निकलकर बाहर सोफे पर बैठ कर सुधाकर का इंतजार करने लगी।
                         
                                                                                               
                                    
मैं सोफे पर बैठकर सुधाकर का इंतजार करने लगी। करीब 8- 10 मिनट बाद डोर बेल बजी। मैंने उठकर दरवाजा खोला तो सामने सुधाकर खड़ा था। मैंने उसे कहा अंदर आ जाओ। उसके एक हाथ में मेरे सामान की थैली थी और दुसरे हाध में वाकई केले थे। मैंने वो अंदर आकर एक तरफ खड़ा हो गया। मैंने दरवाजा बंद कर दिया। मैने उससे बैठने के लिए कहा। वो थोड़ा घबरा रहा था। मैंने कहा घबराओ मत यहां पर बैठ जाओ और सोफे की तरफ इशारा किया। और कहा कि तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूं। मैं किचन मै गयी और गैस जलाकर चाय रख दी। हमारे किचन से हॉल का सोफा दिखता है। वो मेरी ओर ही देख रहा था। मै उसको देखकर मुस्कराई। तभी वो बोला कि भाभी आपके लिये ये केले लाया हूं। और उठकर किचन की ओर आ गया। किचन के दरवाजे पर खड़े होकर वो मुझे बोला कि भाभी ये लिजिए केला और एक केला निकाल कर उसका पूरा छिलका निकाल दिया और बोला लिजिए खाइए। मैंने केला लिया और उसकी आँखों में देखते हुए केले पर अपनी जीभ फिराई और उसको होंठों के बीच में रखकर चुसने लगी। वो बोला कैसा है भाभी? तब मैंने कहा कि तुम सच कहते थे ये तो वाकई में बहुत बड़ा है। इसपर वो बोला कि भाभी मेरे पास इससे भी बड़ा और मोटा केला है, खायेंगी? मैने कहा इससे बड़ा तो हो ही नहीं सकता। तो वो बोला - भाभी देखेंगी क्या? और अपने पेंट के ऊपर से अपने लंड पर हाथ फिराने लगा। मैने कहा कहाँ है तो वो बोला कि एक शर्त पर दिखाऊंगा और उसने गैस बंद करके कहा कि भाभी चाय रहने दो। मैं भी उसकी बातों से गगर्म हो गई थी। मैंने पूछा कोनसी शर्त? तो उसने कहा आपको खुद निकाल कर देखना पड़ेगा। मैंने कहा कहाँ से। तो उसने एकदम से मेरा हाथ पकडकर अपने पेंट के ऊपर अपने लंड पर दबाया और बोला यहां से। मैंने अपना हाथ खींच लिया और कहा - ये क्या कर रहे हो सुधाकर। उसनेवापस मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और बोला प्लीज भाभी इसे बाहर निकालिए ना। देखिये आपके कारण इसका क्या हाल हो गया है और मेरा हाथ अपने लंड पर जोर से दबाया। मैंने कहा सुधाकर ये गलत है तुम जाओ यहां से। तो वो बोला कि भाभी इसमें गलत क्या है। मै तो आपका नौकर हूँ और आपकी सेवा करना चाहता हूँ। प्लीज़ भाभी मुझे एक मौका दिजिये और देखिए मैं आपको खुश कर दूंगा। उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी। मैंने अपना हाथ उसके पेंट पर ही रखा और बोली कैसे खुश करोगे? तो वो बोला पहले मेरे इस केले को बाहर निकालिए फिर बताता हूं। और ये कहकर उसने मेरे कंधों पर दबाव डाला। मै समझ गयी और उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई। फिर मैंने धीरे से उसके पेंट के बटन खोले और जिप नीचे की। और उसके पेंट को नीचे सरकाया। अब सुधाकर का अंडरवियर मेबंद लंड मेरी आँखों के सामने था। मैंने उसके अंडरवियर में अपन नाजुक हाथ डाला। और उसका लंड पकड लिया। ओ माय गोड येकितना कडक था और कितना गर्म भी। मैंने अंडरवियर नीचे सरकाई और उसके लंड को बाहर निकाला। सच कहती हूँ ये तो मेरे लिए एक अजुबा था। सुधाकर का लंड मेरे अब तक देखे हुए सभी लंडों से बड़ा था पर जो बात मुझे सबसे अच्छी लगी वोथी इसकी मोटाई। उसका लंड मेरी हथेली में जैसे तैसे समा रहा था। शायद मेरी कलाई की टक्कर का। और हां सुधाकर के लंड की खास बात थी उसका रंग। एकदम काला और आगे से लाल सुपाडा। आप कहेंगे कि मै कुछ ज्यादा ही कह रही हुं पर सच्ची मुझे उसके लंड से प्यार हो गया।
जैसे ही लंड मेरे सामने आया मैने उसको कसकर पकड लिया और सुधाकर की आंखों में देखते हुए उसे जोर से दबाया। उसकी आह निकल गयी। और जैसे ही मैने उसके लंड के सुपाडे पर अपने होंठों से चुम, उसने मेरी आँखों मै देखते हुए कहा कि भाभी पहले इसको सुंघिये। मैंने अपनी नाक लंड के सुपाडे के पास लाकर एक गहरी साँस ली। उसके लंड की खुशबु मुझे मदहोश सी कर गयी। मैंने अपनी जीभ निकाली और सुधाकर के लंड के सुपाडे पर फिराई और उसके लंड पर आये पानी को चाटा। इतने में सुधाकर ने मुझे कंधों से पकडकर उठाया और मेरे होंठों पर होंठ रखकर मुझे बेतहाशा चुमने लगा। अब उसने मेरा मुँह पकडा हुआ था और उसके होंठ जैसे मेरे होंठों को निचोडकर उसका रस पी रहे थे। मैभी उसका साथ देने लगी और उसको कसकर पकड लिया। उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर जाना चाहती थी। मैंने अपना मुहं खोल दिया और हम दोनों एक दुसरे को मानो खाने ही लगे। इस चमाचाटी के दौरान सुधाकर के हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए मेरी गांड पर पहुंच गये। एक तरफ उसके होठ और जीभ मेरे मुहं को चुम रहे थे और मेरा एक हाथ उसके सिर को पकडकर अपनी तरफ खीच रहा था। तो सुधाकर के हाथ मेरी गांड को जोर जोर से दबारहे थे। इस तरह करीब दो तीन मिनट तक किसिंग और एक दुसरे के शरीर को टटोलने के बाद जैसे ही हम अलग हुए सुधाकर ने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया। मैने भी अपनी बांहें उसके गले में डाल दी और वो मुझे चुमते हुए बाहर हॉल में ले आया। वो नीचे से नंगा था और वैसे ही सोफे पर बैठ गया। और मुझे अपने सामने खडा करके मेरी साड़ी निकाल दी। मैं शरमा रही थी। पर उसने एकदम से मेरे पेटीकोट का नाडा खीचकर मेरा पेटीकोट नीचे गिरा दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेंटी में खडी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा दिया।
जैसे ही सुधाकर ने मुझे खींचकर अपनी गोदी में बिठाया, उसका लंड मेरी गांड पर चुभने लगा। वो मुझे पागलों की तरह चुम रहा था। मैं भी मस्त होकर उसकी किस का जवाब दे रही थी। अब उसके हाथ मेरे ब्लाउज पर पहुंच गए थे। वो मेरे बुब्स दबाने लगा। उसने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए और मेरा ब्लाउज खींचने लगा। मैंने उसको ब्लाउज निकालने में मदद की और अपने हाथ ऊपर करके ब्लाउज निकाल दिया। अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में मेरी सोसाइटी के वॉचमैन सुधाकर की गोद में बैठी थी। और वो नीचे से पूरा नंगा था। उसने मेरी ब्रा का हुक खोलकर मेरे दोनों स्तनों को आजाद कर दिया। वो मेरे बुब्स को देखकर बोला - भाभी क्या मस्त है आपके बॉल्स। भाभी मैं हमेशा इनको बाहर से देखकर सोचता था कि कितने मस्त होंगे ये। पर ये तो मेरी सोच से भी ज्यादा मस्त है। और वो मेरेबुब्स और निप्पल दबाने लगा। मेरे कोमल और मुलायम बुब्स पर उसके खुरदरे हाथ मुझे बहुत मजा दे रहे थे। मैंने कहा - सुधाकर लो और मसल डालो इनको। और मैंने उसके हाथो पर अपने हाथ से दबाया। उसने मेरे बुब्स जोर से दबाये और मेरी निप्पल को उंगलियों के बीच लेकर दबाया। मैंने उसके मुँह को अपने बुब्स पर लाकर कहा - सुधाकर चुसो इनको, ये बहुत दिनों से तरस रहे हैं। अब वो मेरे बुब्स चुसने लगा। कभी इस बुब को चुसता तो दुसरे को हाथ में लेकर दबाता और कभी दुसरे को चुसता तो इस वाले को दबाता। मेरे हाथ उसके सिर को बुब्स पर दबा रहे थे। मेरे मुंह से सी सी की आवाज निकलने लगी। कुछ देर बुब्स को चुसने और दबाने के बाद वो फिर से मेरे होंठों को चुमने लगा। मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर की और निकाल दी। उसकी छाती पर थोड़े बाल थे और वो एकदम चौडी और कसरती थी। उसका लंड मेरी गांड में चुभ रहा था। अब उसका एक हाथ मेरे पेट और नाभि कोटटोलते हुए नीचे जाने लगा और मेरी पेंटी पर पहुंच गया। उसने पेंटी के ऊपर से मेरी चुत दबायी। मेरी पेंटी गीली हो गयी थी। उसने अपनी उंगलियों को अपने नाक पर लाकर सूंघा और बोला - वाह भाभी क्या मस्त सुगंध है आपकी चुत की।
उसके इस तरह के शब्दों से मैं शर्मा रही थी और चकित भी थी। वो फिर बोला - भाभी आप तो एकदम तैयार हैं अब मुझे भी थोड़ा तैयार कर दिजिये। मै बोली कैसी तैयारी? तो वो बोला- आपकी चुदाई की। मै एकदम शर्मा गई। वो बोला कि भाभी शर्माइए मत और बताइए कि मुझसे चुदवाओगी ना? मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपना सिर हां में हिलाया। तो उसने मेरा हाथ मेंअपना लंड पकडा दिया और वो बोला कि फिर इसे तैयार किजिए। मैं बोली वो कैसे? तो उसने मुझे अपनी गोदी से उठाकर सोफे के सामने जमीन पर पैरो के बल बिठाया और थोड़ा आगे होकर अपने लंड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला इसको थोड़ा प्यार किजिए। ये आपका प्यार पाकर अपने आप तैयार होजाएगा।
मैने उसका लंड पकडकर उसके सुपाडे पर अपनी जीभ से चाटा ओर फिर लंड को चुमते हुए जीभ से चाटने लगी। सुधाकर का लंड था ही इतना खुबसूरत कि मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रही थी। उसने अपने लंड को एकदम साफ रखा हुआ था। मैंने उसके लंड पर ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ से चाटा और फिर उसके लंड के बॉल को चाटने लगी। वो काफी उत्तेजित हो गया था। मैने उसके लंड के बॉल्स को चुसना शुरू किया और फिर पूरे लंड को चाटते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया और जोर जोर से चुसने लगी। वो तो एकदम पागल सा हो गया और बोला कि भाभी आप तो सचमुच सेक्स की देवी हैं।
करीब डेढ़ दो मिनट लंड चुसवाने के बाद उसने लंड को बाहर निकाल दिया और मुझे उठाकर सोफे पर बिठाया और मेरे सामने बैठकर मेरी पेंटी उतार दी। मेरी सफाचट मुलायम चुत देखकर बोला वाह भाभी मजा आ गया और मेरी चुत पर नाक लगाकर जोर से सुंघने लगा और खुश होते हुए मेरी चुत पर अपने होंठों और जीभ से चुमने लगा। उसकी जीभ अपनी करामात दिखाने लगी और तभी उसने अपने हाथ से मेरी चुत के दाने को सहलाना शुरू किया। मुझे लगा कि मैं अब अपने आपको ज्यादा रोक नहीं पाउंगी। मै स्खलन के बेहद करीब थी पर वो शायद समझ गया था। उसने एकाएक मेरी चुत से हाथ और मुंह हटा लिए। और मेरे सामने देखने लगा। मैंने कहा रुक क्यों गये, और करो ना। तो वो बोला क्या करूं भाभी? मैने कहा अब मत रुको प्लीज डाल दो ना। वो फिर बोला क्या डालुं भाभी। मैंने कहा सुधाकर सताओ मत और जल्दी से डाल दो प्लीज़। तो वो बोला भाभी आपको बोलना तो पडेगा ही। बोलो क्या डालना है? तब मैंने कहा सुधाकर तुम्हारा लंड डालो। तो वो बोला भाभी हम मराठी में इसको लवडा बोलते हैं तो बताइए क्या डालना है। वो ये सब जानबूझकर कर रहा था ताकि मुझसे चुदवाने की रिक्वेस्ट करा सके। उसै इसमें मजा आ रहा था। मै बोली सुधाकर अपना लौडा डालो मेरी चुत मे और मुझे चोदो। इतना सुनते ही उसने अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पर रखा और एक धक्का लगाया। मैं सोफे के रेस्ट का सहारा लेकर बैठी थी और मैनै अपने पैर फैला रखे थे। वो मुझपर झुका हुआ था। मेरी चुत काफी गीली हो चुकी थी फिर भी उसके लंड की मोटाई के कारण थोड़ा दर्द हो रहा था। उसने फिर से दो धक्के लगाये और मेरी चुत ने उसके पूरे लंड को अपने में समा लिया। उसका लंबा और मोटा लंड मेरी चुत में रगड खाता महसूस हो रहा था। कुछ ही धक्कों के बाद मैं चरम तक पहुंच गयी। इस तरह स्खलित होने का मेरा ये पहला अनुभव था। सुधाकर फिर भी रूका नहीं और मेरी चुत को और 2 से 3 मिनट चोदने के बाद वो भी छुटने वाला था कि उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाल लिया और सीधे मेरे बुब्स और पेट पर पिचकारी छोड दी। उसका बहुत सारा वीर्य मेरे बुब्स पर गिरा और इससे मेरा मंगलसूत्र भी उसके वीर्य से भीग गया। कुछ बूंदें मेरे चेहरे पर भी गिरी। दो मिनट पडे रहने के बाद हम उठे और मै बाथरूम जाने लगी तो वो बोला कि भाभी आपसे एक रिक्वेस्ट कर सकता हूं? मैने कहा बोलो तो उसने कहा कि क्या आप मेरे लवडे को चाटकर साफ करेंगीं? पता नहीं क्यों याशायद उसके लंड पर इतना प्यार आने की वजह सै मैंने बिना कुछ बोले उसके लंड को पकडा और अपने होंठों और जीभ से चाटकर पूरा साफ कर दिया। वो बहुत खुश हुआ। और फिर मै बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ करके टॉवेल लपेटकर बाहर आयी। सुधाकर सोफे पर ही बैठा था। जब बाहर आकर मैनै अपना मंगलसूत्र निकालना चाहा तो सुधाकर ने ये कहते हुए मुझे रोक लिया कि भाभी रहने दीजिए इसे। अभी तो इसके साथ बहुत मजे करने हैं।
                         
                                    
सुधाकर नंगा ही बैठा था। उसने मुझे खींचकर अपनी गोदी में बिठाया। और वोफिर से मुझे किस करने लगा। मैं भी उसकी किस का जवाब देने लगी। मैंने अपनी जीभ सुधाकर के मुंह में डाल दी और फिर हम एक दूसरे को जोर जोर से चुमने लगे। उसने मेरा टॉवल हटा दिया। उसके हाथ मेरे बुब्स से खेलने लगे। वो बोला - भाभी मैं हमेशा से आपको चोदने के सपने देखता था और कई बार आपके बारे में सोचते हुए मुठ मारता हूं। मुझे उसकी बातों से मजा आ रहा था पर मैं ऊपर से शर्मा रही थी। अब मैने उसका लंड पकड लिया और उसे सहलाने लगी। मैंने कहा अब तुमको ये मुठ वुठ की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेरे पास आ जाना मैं इसको ठंडा कर दूंगी और ये कहकर मैंने उसके लंड को जोर से दबा दिया। उसकी आह निकल गयी और वो बोला कैसे ठंडा करेंगी? तो मैं बोली इसको मेरे अंदर लेकर। मैं समझ चुकी थी कि उसको फोरप्ले करते हुए गंदे शब्द बोलना अच्छा लगता है। वो बोला अंदर कहाँ? तो मैने कहा मेरी चुत के अंदर। इसपर वो बोला भाभी पूरा बोलिए ना क्या क्या करेंगी। मुझे भी मजा आ रहा था। मैने कहा तुम्हारे इस लंड को अपनी चुत के अंदर डलवाकर तुमसे चुदवाउंगी। ईसपर वो बोला भाभी अभी चुदवाओगी? उसका लंड अब एकदम कडक हो गया था। मैंने कहा हां तो वो बोला कि बेडरूम में चलते हैं। मैं आपको आपके बेड पर चोदुंगा। मैंने कहा ओके।
उसने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और बेडरूम में लेआया। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल रखी थी। हम दोनों एक-दूसरे को चुम रहे थे। उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी जांघों पर बैठ गया। उसने मेरे मंगलसूत्र को ठीक से मेरे गले और छाती पर मेरे दोंनो बुब्स के बीच रखा और बोला कि भाभी मैं आपके बुब्स को चोदुंगा। और उसने मुझे मेरे दोनों हाथों से मेरे बुब्स को पकडकर बीच मे एक खाई सी बनवाई। मेरा मंगलसूत्र उस खाई के बीच से होता हूआ मेरी छाती पर पड़ा था। सुधाकर मेरे पेट के दोनों और पैर रखकर मेरे ऊपर बैठ गया और पहले उसने अपना लंडमेरी नाभि पर घिसकर मेरे दोनों बुब्स पर रगडने लगा। मेरे लिए ये नया अनुभव था। इसके पहले मैं जरूर कभी-कभी अपने बुब्स अमित के लंड पर रगडती थी पर ये पहली बार था कि बाकायदा मेरी बुब्स चुदाई हो रही थी। थोड़ी देर एक एक कर मेरे दोनों बुब्स की अपने लंड से घिसाई करने के बाद सुधाकर ने अपना लंड मेरे बुब्स के बीच की खाई में डाल दिया मैंने अपने बुब्स कोदोनो तरफ से दबा रखा था किजिससे मेरे बुब्स की खाई सिकुड जाये। उसका लंड मेरे मंगलसूत्र से रगड खा रहा था और शायद वो जान बुझकर मेरे मंगलसूत्र पर अपना लंड रगड रहा था। मेरी आँखें बंद हो गयी थीं और मैं अपनी बुब्स और मंगलसूत्र की चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी। कि अचानक मेरे मोबाइल की बेल बजी।
अचानक बजे मोबाइल से मेरी तंद्रा टुटी और जैसे ही मैने मोबाइल लेकर देखा तो वो अमित का फोन था। मैने सुधाकर की तरफ देखा तो उसने पूछा कौन है? मैने कहा अमित, तो वो बोला बात किजिए साहब से। और हाँ आपको प्राब्लम न हो तो स्पीकर ओन कर दिजिये। मेरे पास सोचने का ज्यादा वक्त नहीं था। मैंने जल्दी से फोन उठाया स्औपीकर ओन किया और बोली - हां बोलिए अमित।
अमित-क्या कर रही हो, कहाँ हो।
इधर सुधाकर मेरे बुब्स के बीच अपना लंड जोर जोर से आगे पीछे करने लगा। उसका लंड मेरी ठोड़ी से टकरा रहा था।
मैने कह अमित मैं बेडरूम में हूं। और जैसे ही सुधाकर का लंड मेरी ठोड़ी से टकराया मेरी आह निकल गयी।
अमित बोला क्या हुआ और तुम हांफ क्यो रही हो?
मैं अब थोड़ा संभल चुकी थी और मैने सुधाकर की ओर देखते हुए कहा कि कुछ नहीं अमित वो मैं लंड से खेल रही थी जो तुम लाये थे।
अमित मेरे लिए एक डिल्डो लाये थे पर मुझे डिल्डो युज करना बिल्कुल पसंद नहीं था।
अमित - अरे तुम्हे तो ये पसंद नहीं ना।
मै-जब तुम कुछ करते नहीं तो क्या करुं
इधर सुधाकर ने हमारी बातें सुनकर मुझे मंगलसूत्र को पकडकर उसको अपने लंड पर लपेट लिया और मेरी बुब्स चुदाई करना चालु रखा।
यहां मैं अपने पति से फोन पर बात कर रही थी और मेरी सोसायटी का वॉचमैन मेरे पति की निशानी मेरे मंगलसूत्र को अपने लंड पर लपेट कर मेरी आँखों में देखते हुए मेरी बुब्स ठुकाई कर रहा था।
अमित बोला कि बहुत गर्म हो रही हो क्या बात है, कहो तो रात को आशिष बोस को ले आऊं।
मै- नही नहीं उनकी जरूरत नहीं
अमित- क्या बात है, कोई और मिल गया क्या और वो हंसने लगे।
मैने कहा मिला तो नहीं पर तुम कहो तो ढूंढ लूंगी। और मैने सुधाकर का लंड हाथ में पकड लिया और उसको उठने का इशारा किया और जैसे ही वो उठा मै बेड पर बैठ गयी और एक हाथ में फोन पकडकर सुधाकर को पास बुलाया और अपना मंगलसूत्र पकडकर उसे उसके लंड पर लपेटने का इशारा किया। और फिर उसका मंगलसूत्र से लिपटा लंड मुंह में लेकर चुनने लगी और जान बुझकर पुच पुच की आवाज़ निकालने लगी।
अमित-क्या बात है जानु ये कैसी आवाज है। मैने लंड को मुंह से निकाला और बोली वो लंड चुस रही हूं। अमित-जानू ये आर्टिफिशल क्यों रात को रियल वाला चुस लेना। मैंने कहा ये बहुत मस्त है और कितना मोटा है मुझे चुसने दो। और अब फोन रख दो। और ये कहकर वापस सुधाकर का अपने मंगलसूत्र में लिपटा लंड चुसने लगी और मोबाइल को और पास लाकर अमित को लंड चुसाई की आवाज सुनाते हुए मैने फोन काट दिया।
सुधाकर मुझे बोला कि भाभी आप तो बिल्कुल रंडी हैं। सच में आप जैसी सेक्सी औरत मैने नहीं देखी। और वो जोर जोर से मेरामुँह चोदने लगा। मै बहुत गर्म हो गयी थी, मैंने सुधाकर का हाथ पकडकर अपनी दहकती चुत पर रखकर दबाया। वो समझ गया और उसने अपनी दो उंगलियां मेरी एकदम गीली चुत मे डालकर अंदर बाहर करने लगा। अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था। मैने कहा सुधाकर अब डाल दो। तो वो बोला कि मेरी रंडी भाभी जरा अच्छी तरह से बोलिए क्य डालूं। तो मैने कहा सुधाकर अपना ये मस्त लंड मेरी चुत में डालो और अपनी रंडी भाभी को चोदो। तो वो बोला कि भाभी लंड को और क्या कहा था मैने? मैने फिर उसकी आँखों मे देखते हुए कहा कि सुधाकर अपना ये मस्त लौडा अपनी भाभी की चुत में डालो और मुझे चोदो। वो एकदम तैश में आ गया और मुझे लिटाकर मेरी टांगों को फैलाकर अपना लंड मेरी चुत के मुहाने पर रखकर धक्का दिया। पहले धक्के में मेरी चुत ने उसका आधा लंड अपने अंदर ले लिया और फिर दो और धक्कों मे उसका पूरा लंड मेरी चुत में समा गया। जब बाहर सोफे पर उसने मुझे चोदा था उससे कहीं ज्यादा अब उसका लंड मैं अपनी चुत के अंदर तक फील कर रही थी। एक बात तो थी सुधाकर में कि उसका लंड इतनी देर से एकदम कडक था। अब वो मुझे जंगली की तरह जोर जोर से चोदने लगा। वो साथ साथ बोल भी रहा था - ले मेरी रंडी भाभी ले मेरा लौडा। ले और ले अपनी प्यासी चुत में मेरा मोटा लौडा। करीब एकाध मिनट मेरी चुत को चोदने के बाद उसने अपना लौडा बाहर निकाल लिया। मैं उसको देखने लगी तो वो बोला फिक्र मत करो भाभी मै अपनी रंडी भाभी को कुतिया बनाकर चोदुंगा। ये सब वो जान बुझकर कर रहा था। कि जिससे हमारा स्खलन और लंबित हो जाये।
अब उसने मुझे बेडपर ही खडा करके और मेरे दोनों हाथों को सामने दिवार पर टिकाया और मुझे घोडी बनाकर पीछे से अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया। वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मैं बता नही सकती मुझे कितना मजा आ रहा था। उसने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड रखी थी। और गंदी बातें बोलते हुए लंड से चुत में धक्के लगा रहा था। वो बोल रहा था-आह मेरी भाभी तेरी चुत में मेरा लंड। बोल मेरी रंडी भाभी कैसा लगा मेरा लौडा? मै भी उसका साथ दे रही थी। हां सुधाकर चोदो मुझे। मस्त है तुम्हारा लौडा। अपनी रंडी भाभी की चुत फाड डालो। वगैरह।
पता नहीं मैं कब स्खलित हुई और कितनी बार हुई। पर शायद सुथाकर समझ रहा था और जैसै ही मेरा शरीर अकडता वो अपनी स्पीड कम कर देता। करीब चार पाँच मिनट अपने लंड के धक्के लगाने के बाद वो अपने स्खलन के नजदीक आ गया और जोर से बोला कि भाभी मै आने वाला हूं मैने कहा कोई बात नहीं अंदर ही छोड दो। पर वो बोला नहीं भाभी और अपना लंड बाहर निकाल कर मुझे सीधा करते हुए अपने लंड की पिचकारी मेरे बुब्स और खासकर मेरै मंगलसूत्र पर छोड दी। उसने अपने वीर्य से मेरा मंगलसूत्र भिगो दिया था। मै बेडपर लेट गयी थी और अपनी सांसों पर काबू कर रही थी। वो मेरे पास ही लेट गया और मेरी ओर देखने लगा। मैने उसके होठों पर एक चुंबन देकर जैसे उसका शुक्रिया अदा किया। मैं उठने लगी तो वो बोला कि भाभी पहले इसे साफ कर दीजिए और अपना लंड मेरे मुँह के सामने किया। मैंनें उसके रस से भीगे लंड को मुंह में लिखा और उसे पूरा ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ से चाट चाटकर साफ कर दिया। और फिर जैसे ही मैने एक कपडा उठाकर अपने बुब्स और मंगलसूत्र को उसके वीर्य से साफ करना चाहा उसने मुझे ये कहकर रोक लिया कि रहने दो ना भाभी। थोडी देर आपके इस मंगलसूत्र को भी मेरे लौडे की खुशबु और स्वाद लेने दो।
इसके बाद हम दोनों साथ में बाथरूम में गयेऔर एकदूसरे को साबुन और पानी से साफ किया। फिर बाथरूम से बाहर आकर सुधाकर ने कपडे पहन लिए और मैने एक नाइटी पहनी ही थी कि मेरे फ्लैट की घंटी बजी। मुझे लगा कोई सेल्समैन होगा। मैने सुधाकर को सोफे पर बैठने को कहा और जाकर दरवाजा खोला। अरे ये क्या दरवाजे पर मेरे सामने के फ्लैट में रहने वाली नीता भाभी खडी थी। वो भौचक्की सी कभी मुझे देख रही थी, कभी मेरी शोर्ट नाइटी को तो कभी सोफे पर बैठे सुधाकर को। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने सुधाकर से कहा अच्छा सुधाकर तुम जाओ और अब कभी कुछ प्लंबिंग का काम होगा तो तुम्हें ही बुलाउंगी। सुधाकर उठकर नीता भाभी को देखते हुए चला गया। मैने नीता भाभी को कहा भाभी अंदर आइए ना। नीता भाभी अंदर आ गयी। मैने दरवाजा बंद कर दिया और बोली कहिए भाभी.....
                         
                                    
उस दिन जब नीता भाभी आयी तब सुधाकर को मेरे घर में देखकर चौंक सी गयी। मैं भी थोड़ा घबरा गयी थी। नीता भाभी हमारे सामने वाले फ्लैट में रहती है। वो मुझसे एकाध साल बड़ी हैं। मैं उन्हें भाभी ही कहती हूँ और वो मुझे सारिका कहती हैं। नीत भाभी के पति विनोदजी का ज्वेलरी का बिजनेस है। वो भाभी से उम्र में काफी बड़े दिखते हैं। नो हमारी सोसायटी के अध्यक्ष भी हैं। नीता भाभी उस समय 39 या 40 की होंगी। वो मुझसे पतली हैं और उनके नाक नक्श बहुत अच्छे हैं। जो एक चीज उनको सेक्सी और होट बनाती है वो है उनकी गांड। पीछे से उभरी हुई और मोटी। शायद ही कोई ऐसा मर्द हो जो एकबार उनकी गांड देख ले और आहें न भरे। वो हमेशा साड़ी ही पहनती है। उनके कोई बच्चे नहीं है। मुझे लगता थाकि शायद भाभी इसी वजह से उदास सी रहती हैं।
उस दिन जब सुधाकर चला गया तो मैने भाभी को अंदर बुलाया और कहा - कहिए भाभी। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा कि सारिका ये सुधाकर यहां क्या कर रहा था? मैंने जल्द बाजी में जो नाइटी पहनी थी वो एक तो घुटनों तक ही थी और थोड़ी पारदर्शी भी। अंदर न ब्रा थी न पेंटी। अब भाभी इतनी भी भोली नहीं थी कि कुछ समझ न सकें। जब मैंने कहा कि भाभी मेरे बाथरूम का टैप खराब हो गया था, वही ठीक करने आया था। तो भाभी बोली कि पर उसको कहां प्लम्बिंग आती है, जब मेरे घर में कुछ काम था तो सुधाकर ही किसी प्लम्बर को लाया था। जब मैंने कहा कि सुधाकर ने ही कहा कि वो खुद ठीक कर देगा, तो भाभी हंसने लगी और बोली कि क्या सुधाकर को प्लम्बिंग के काम के लिए तुम्हारी ब्रा की जरूरत होती है ओर सोफे पर पड़ी मेरी ब्रा उठाकर दिखाने लगी। मेरे तो होश उड गये। तब मेरी समझ में आया कि जल्दबाजी में कपड़े उठाते वक्त मेरी ब्रा सोफे पर ही रह गयी थी और सुथाकर शायद मेरी ब्रा पर बैठ गया था। मैंने कहना चाहा कि भाभी वो क्या है कि, पर भाभी ने यै कहते हुए मेरी बात काट दी कि कोई बात नहीं सारिका, मुझे कोई सफाई नहीं चाहिए। वो बोली कि मैं समझ सकती हूं सारिका। मै भी एक औरत हु और एक बिजनेसमैन की बीबी भी। इन हमारे पतियों को हमारे लिए समय कहां होता है। और ये सुधाकर है ही ऐसा कि किसी का भी मन डोल जाए। जब मैंने कहा कि भाभी आप सोच रहीं हैं वैसा कुछ नहीं है तो वो बोली कि सारिका मुझ मालूम है कि तुम्हारे और सुथाकर के बीच कई दिनों से काफी कुछ चल रहा है। और वो कई बार तुम्हारे साथ सामान वगैरह छोडने आता रहता था। और एक दिन तो मैने तुम्हें लिफ्ट में भी उसके साथ मस्ती करते देखा था। मुझे तो जैसे काटो तो खुन नहीं। फिर मैंने थोडा आश्वस्त होकर कहा कि भाभी अब आप सब जान गयीं हैं तो प्लीज़ किसी को भी बताइएगा नहीं। तो इस पर भाभी मुझे आंख मारकर बोली कि ठीक है किसीसे कुछ नहीं कहूंगी पर मेरी एक शर्त है। जब मैंने पूछा क्या? तो नीता भाभी हंसते हुए बोली कि मैं तुमसे जो भी पुंछु उसका एकदम सही जवाब देना। मैंने कहा ठीक है भाभी पुछिए क्या पूछना है।
इसपर भाभी बोली- सारिका ये सुधाकर तो अभी महीने पहले ही आया है और उसने तुम्हें पटा भी लिया। और हाँ ये कबसे चल रहा है तुम लोगों के बीच? मैंने कहा भाभी आज पहलबार ही वो घर में आया था। तो वो बोली हां हो सकता है क्योंकि मैं कुछ दिनों ल
से तुम पर नजर रख रही थी और मैंने भी उसको इतने समय के लिए तुम्हारे साथ पहली बार ही देखा। जब मैंने कहा भाभी आप मुझपर नजर रखती हो तो वो बोली सारिका बुरा मत मानना जबसे मैंने तुमको उसके साथ हंस हंसकर बातें करते और उसको हमेशा तुम्हारी हेल्प करते देखा और फिर एकदिन लिफ्ट में तुम दोनों को मस्ती करते हुए देखा तो मुझे लगा कि एकदिन तुम दोनों जरूर कुछ करोगे और आखिर मैं भी इन्सान हूँ। मेरी भी जरूरतें हैं और वो हंसने लगी। इतनी देर से मैं शर्मा रही थी पर उनकी बातें सुनने के बाद थोड़ी इजी हो गई। मैंने कहा हां भाभी आप सच कह रही हैं मेरी जरूरतें ही तो मुझसे ये करवा रही हैं। हम दोनों पास पास ही बैठीं थीं। फिर उन्होंने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा सच बताओ सारिका तुम्हें कैसा लगा? मैं क्या कहती, सिर्फ कहा कि अच्छा लगा भाभी। उन्होंने पूछा कि क्या सुधाकर वो पहल मर्द है जिसके साथ मैं छिपकर ये सब कर रही हूं तो मैने झूठ बोला कि भाभी हां ये पहली बार है मेरे पति के अलावा। उन्होंने कहा कि सारिका क्या तुम अपने पति से खुश नहीं हो तो मैने कहा कि वैसे तो बहुत खुश हूं पर वो मुझे पुरा संतोष नहीं दे पाते। तब भाभी एकदम से बोली कि मेरा भी यही हाल है और मैं तुम्हारी तरह हिम्मत नहीं कर पाती। सोचती तो बहुत हूं पर डर लगता है। मैने कहा कि इसमें हिम्मत की बात नहीं भाभी, ये तो अपने आप होता चला गया। तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और कहा सच बताओ सुधाकर ने तुम्हें पुरा सेटिस्फाय किया ना। मैने कहा हां भाभी वो बहुत अच्छे से करता है। भाभी बोली कैसे करता है बता ना। जब नीता भाभी इतनी खुली बातें कर रही थी तो मैने भी शर्म छोड दी। मैंने कहा भाभी वो तो एक्सपर्ट है और एकदम जंगली की तरह करता है। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मै नीता भाभी से ऐसी बाते कर रही थी। पर शायद थोडी देर पहले की चुदाई और भाभी के बिंदास सवालों ने मेरी शर्म को बिल्कुल तोड़ दिया था।
फिर भाभी ने पुछा कि कैसे हम दोनों ने एक-दूसरे को पटाया तो मैने उनको संक्षिप्त में वो केले वाली बात बताई। इसके बाद भाभी ने मुझसे पूछा कि उसका केला कैसा है। मैने कहा कि क्या वो देखना चाहती हैं? इसपर वो आंखे नीची करके बोली कि सारिका अगर तुम मदद करो और तुम्हें बुरा न लगे तो मैं देखना भी चाहूंगी और खाना भी। मैने कहा क्या बात है भाभी विनोदजी भी? तो वो बोली कि क्या बताऊँ वे तो एकदम फुस्स हैं और मुझे हमेशा उंगलियों से काम चलाना पडता है। तब मुझे समझ में आया कि भाभी क्यो ज्यादातर उदास रहती थीं। मैने उनका हाथ हाथमें लेकर कहा भाभी मै जरूर आपकी मदद करूंगी और कोशीश करूंगी कि आपको खुशी मिलै। फिर थोडी यहां वहां की बातें करके जब भाभी जाने लगी तो फिर से मुझे कहा कि देखना सारिका मेरा काम याद रखना। मैने उनको आंख मारते हुए कहा कि अब तो आपको एक बडावाला केला जरूर खिलवाउंगी।
इसके बाद दुसरे दिन सुधाकर की दिन में ड्यूटी आ गयी थी मतलब अब वो छह दिनों के लिए दिन में ड्यूटी पर रहने वाला था। दोपहर में जब मैं नीचे गयी तो वो टेबल के दुसरी ओर कुर्सी पर अकेला बैठा था। जैसे ही मैं उसके टेबल के पास जाकर खडी हूई उसने अपना हाथ टेबल के साइड मे रखा । मैं थोडा खिसक कर अपनी जांघों को उसके हाथ से सटाकर खडी हो गयी। उसकी उंगलियों ने अपनी करामात दिखानी शुरू कर दी। अब उसका हाथ टेबल कि किनारी और मेरी जांघों के बीच था। मैंने अपनी जांघों को उसके हाथ पर दबाया। वो मेरी जांच पर हाथ फिराते हुए धीरे से बोला कैसी हो मेरी रंडी भाभी। मैने कहा अच्छी हूंतो वो अपना दूसरा हाथ टेबल के नीचे अपने लंड के उभार पर फिराते हुए बोला कि मेरे केले की याद आती थी क्या रात को। मैंने कहा हां बहुत याद आयी तुम्हारी। हम दोनों बहुत धीरे से फुसफुसा रहे थे। उसकी उंगलियां मेरी जांघों पर घुमते हुए मेरी चुत पर पहुंचना चाहती थी। मैने जरा सा सरक कर अपनी चूत उसके हाथ पर रखकर उसका हाथ दबाया। अब उसकी उंगलियां मेरी चुत से खेलने लगी। लोबी में सेअगर कोई लिफ्ट की तरफ आता या जाता तो उसको मेरी पीठ ही दिखाई देती। और ऐसा लगता कि मै वहां खड़ी वॉचमैन से कुछ बातें कर रही हूं। पर यहाँ मैं अपनी सोसायटी के वॉचमैन के हाथ पर अपनी चूत दबा रही थी। और वो एकहाथ अपने लंड पर फिराते हुए मुझे उसे खाने का निमंत्रण दे रहा था। मेरी दहकती चुत ने गीला होना शुरू कर दिया था और मैने देखा कि सुधाकर का लंड भी खडा होने लगा था। मेरा मन कर रहा था कि वहीं उसके पेंट की जिप खोलकर उसका लंड बाहर निकाल लुं और उससे खेलूं। पर मैने अपने आप पर कंट्रोल किया। सुधाकर मेरी चुत पल अपना हाथ दबाते हुए बोला कि भाभी देखो ये चुदना चाहती है इसको चोदने आ जाऊं? मैने कहा अभी तो तुम ड्यूटी पर हो कैसे आओगे? वो बोला मेरी रंडी भाभी जब भी हुक्म करेगी मै आ जाउंगा। उस समय दोपहर के चार बज रहे थे। थोडी देर ऐसे ही चुत में उंगली करने कै बाद वो बोला कि भाभी कल आपको नीता भाभी ने कुछ कहा तो नहीं? मैं उसको एकदम सब बताना नही चाहती थी और उस सबके लिए ये जगह भी ठीक नहीं थी तो मैने कहा कि उन्होंने सिर्फ इतना पूछा कि तुम वहां क्वोक्यों आये थे तो मैने बहाना बना दिया। इसके बाद वो बोला कि मैं कल रात वाले वॉचमैन को अपनी जगह बुलाकर हाफ डे कर सकता हूं। तो मैने भी उसको कहा कि ठीक है कल तुम दोपहर तीन बजे आ जाना। वो एकदम खुश हो गया और बोला आप इंतजार करना मैं इसको लेने आ जाऊंगा और ये कहकर जोर से मेरी चुत दबा दी। मेरे मुँह से आह निकल गयी। वो तो अच्छा है कि उस वक्त वहांकोई नहीं था। इसके बाद घर आकर मैने अपनी उंगलियों से अपने आप को सेटिस्फाय करना चाहा पर इसमे वो लंड वाला मजा कहां था? खैर फिर मैं इस बारे मे सोचने लगी कि कल मैं सुधाकर के लंड से कैसे खेलुंगी और कैसे नीता भाभी को किया वादा पूरा करूंगी? और क्या सुधाकर इसके लिए तैयार होगा?
                         
                                    
                                                    
